डिब्रूगढ़: कई दिनों तक खुफिया एजेंसियों और पंजाब पुलिस को छकाने के बाद खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल को रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस उसे पिछले लगभग 36 दिनों से तलाश रही थी लेकिन वह लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था। पुलिस ने उस रविवार सुबह मोंगा से गिरफ्तार किया। इसके बाद उसे असम की डिब्रूगढ़ की सेंट्रल जेल में भेज दिया गया। बता दें कि अमृतपाल प्रकरण में जीतने भी खालिस्तानी समर्थक पकडे गए, उन सबको इसी जेल में बंद किया गया है। आइए जानते हैं कि इस जेल में ऐसा क्या है कि अमृतपाल और उसके साथियों को यहीं लाकर कैद किया गया।
1860 में हुआ था डिब्रूगढ़ जेल का निर्माण
डिब्रूगढ़ जेल उत्तर-पूर्व की सबसे पुरानी जेलों में से एक है। 1860 में इसका निर्माण हुआ था और इसका निर्माण अंग्रेजी सरकार ने कराया था। इस जेल में अलगाववादी संगठनों जैसे यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के कई नेता कैद रहे हैं। डिब्रूगढ़ जेल में अमृतपाल के करीबी दिलजीत सिंह कलसी, भगवंत सिंह, गुरमीत सिंह और बजेका भी बंद हैं। इस जेल की गिनती देश की सबसे सुरक्षित जेल में की जाती है। यह शहर के बीचों-बीच बसी हुई है। जेल के मुख्य परिसर के चारों ओर करीब 30 फीट से ऊंची दीवारें बनी हुई हैं।
अमृतपाल के पहुंचने से पहले ही जेल में 15 और नए CCTV कैमरे लगे
जानकारी के अनुसार, इस जेल की सुरक्षा व्यवस्था इतनी पुख्ता है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। जिन बैरकों में अमृतपाल और उसके साथियों को रखा गया है, वहां अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की गई है। इन तक किसी को भी सीधे पहुंचना असंभव है। जेल के गेट से इनकी बैरकों तक लगभग 60 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिसने जेल के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही अमृतपाल के पहुंचने से पहले ही जेल प्रशासन ने 15 और नए कैमरे लगाए हैं।
जेल में एक साथ 680 कैदी रखे जा सकते
इस जेल में एक साथ 680 कैदी रखे जा सकते हैं और फरवरी महीने से डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में कुल 445 कैदी बंद हैं, इनमें 430 पुरुष कैदी हैं और 15 महिला कैदी हैं। इसके साथ ही यहां ज्यादातर उन कैदियों को रखा जाता है जिन्हें किसी अपराध में 3 साल या उससे की ज्यादा सजा मिली होती है। इस जेल में कुख्यात अपराधी, डकैत, अंडर ट्रायल कैदियों समेत उम्र कैद की सजा काट रहे कई बड़े अपराधी भी हैं।