नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में मुहर्रम का चांद दिखने पर निकाले गए जुलूस में कथित तौर पर फिलिस्तीन का झंडा लहराया गया। पुलिस ने इस मामले में देश में नए-नए लागू हुए कानून BNS की धारा 197 (2) के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने इस मामले में एक शख्स को गिरफ्तार भी किया है। आइए, जानते हैं कि अगर किसी के ऊपर BNS की धारा 197 के तहत मुकदमा दर्ज होता है तो उसे क्या सजा मिल सकती है। आपको धारा 197 के तहत आने वाली 2 उपधाराओं के बारे में और कौन सी उपधारा कब लगेगी, इसकी जानकारी भी देंगे।
पहली उपधारा में क्या हैं नियम?
बता दें कि BNS की धारा 197 के तहत दो तरह की उपधाराओं का भी जिक्र किया गया है। दोनों उपधाराओं के तहत अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है। BNS की धारा 197 (1) के तहत अगर कोई, मौखिक, लिखित शब्दों द्वारा, संकेतों द्वारा या वीडियो द्वारा या ऐसे किसी माध्यम के जरिए विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा नहीं रख सकता या भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण नहीं रख सकता तो उसे दोषी माना जाएगा। इस तरह का कार्य करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माने या फिर दोनों की सजा का प्रावधान किया गया है।
दूसरी उपधारा में क्या हैं नियम?
वहीं BNS की धारा 197 की दूसरी उपधारा की बात करें तो इसके तहत दोषी पाए जाने पर अलग सजा का प्रावधान किया गया है। BNS की धारा 197 (2) के तहत अगर कोई व्यक्ति उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट कोई अपराध किसी पूजा स्थल में या धार्मिक पूजा या धार्मिक अनुष्ठान करने में लगी किसी सभा में करता है तो उसे इसके तहत दोषी माना जाएगा। ऐसा करने पर दोषी को पांच वर्ष तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके साथ ही उसे जुर्माना भी भरना होगा। इसी धारा 197 (2) के तहत भदोही में जुलूस के दौरान फिलिस्तीन का झंडा फहराने पर दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इन लोगों को पांच साल की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है।
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