Highlights
- ऐसा बैग जिसमें सिर्फ हवा हो
- आगे की डैशबोर्ड में लगाया जाता है
- एयरबैग गुब्बारे की तरह बन जाता है
Know Everything About Airbags: हाल ही में साइरस मिस्त्री की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हो गई थी जिसके बाद सड़क से जुड़ी हर सेफ्टी को लेकर पूरे भारत में चर्चा होने लगी। वैसे तो आमतौर पर भारत में सड़क सुरक्षा के प्रति लोग जागरुक नहीं दिखाई देते हैं। जिससे आए दिन सड़क दुर्घटना होती रहती है। वही साइरस मिस्त्री के मौत के बाद परिवहन मंत्रालय भी काफी एक्टिव हो गया। विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए छोटे-छोटे फिल्में बनाएं ताकि जब भी लोग सड़क पर बाइक या अन्य वाहन चलाते हैं तो सुरक्षा के सारे नियमों का पालन अवश्य करें।
इसी क्रम में सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने फैसला लिया था कि कारों में एयर बैग को अनिवार्य कर दिया जाए लेकिन फिलहाल इस प्रस्ताव को टाल दिया गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, अब यह नियम 1 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया गया है। वही कार कंपनियों ने भी एयर बैग अनिवार्य करने की योजना पर काम कर रही है। इस अनिवार्यता को 1 साल बाद चलन में लाया जाएगा।
आपके मन होंगे कई सवाल
साइरस मिस्त्री के मृत्यु के बाद एयर बैग को लेकर काफी चर्चा हुई थी और इससे संबंधित गूगल पर भी काफी सर्च किया गया था। आज हम प्रयास करेंगे कि आपको एयर बैग से जुड़ी हर सवाल का जवाब दे सके। आपके मन में कुछ इस तरह के सवाल जरूर आते होंगे। एयर बैग लगाने में कितना खर्च होता है, एयरबैग क्या पुरानी गाड़ी में लग सकती है। वही इस एयर बैग का सिस्टम क्या होता है आखिर यह काम कैसे करता है। इसके आलावा सरकार भी एयर बैग पर काफी जोर दे रही है तो आइए जानते हैं इन सब सवालों के जवाब के बारे में।
क्या है एयरबैग सिस्टम?
एयर बैग नाम सुनकर ऐसा लग रहा है कि एक ऐसा बैग जिसमें सिर्फ हवा हो। आपको बता दें कि इसे कार्टन से बनाया जाता है और इस पर सिलिकॉन की कोटिंग की जाती है। वही सोडियम गैस भरी होती है। इसे गाड़ी में आगे की डैशबोर्ड में लगाया जाता है। इस एयर बैग से मौत होने के चांसेस कम हो जाती है। जब कार से किसी से टकराती है तो एयर बैग गुब्बारे की तरह बन जाता है। और जैसे ही भिड़ंत होता है तो एयर बैग इंसान को अपने कब्जे में कर लेता है।
आखिर यह कैसे काम करता है?
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर यह काम कैसे करता है इसका प्रोसेस क्या है। एयर बैग को कैसे पता चल जाता है कि एक्सीडेंट हो गया है। अब ये कैसे काम करता है तो चलिए इसके बारे में भी आपको पूरी विस्तार से समझाते हैं। एयर बैग पूरी तरह से एक सेंसर पर टिका हुआ है। कार में बोनट के पास सेंसर लगाए जाते हैं। जैसे ही कार टकराती है तो यह सेंसर उतने ही तेजी से एक्टिव हो जाते हैं जिसके बाद एयर बैग खुलने में सेकंड भर का समय नहीं लगता है। ऐसा माना जाता है कि ऐयर बैग की स्पीड 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है।
कैसे फुल जाता है एयरबैग?
एयर बैग के पीछे एक सोडियम एजाइड (Sodium azide) गैस का सिलेंडर होता है यह सिलेंडर केमिकल फॉर्म में होता है और सबसे इसकी खास बात यह है कि अगर इसको तेजी से हिट किया जाए तो यह तुरंत गैस में कन्वर्ट हो जाता है। जरा सा सोडियम एजाइड गैस नाइट्रोजन गैस बना देता है। वही आपको बता दे कि सेंसर से गैस सिलेंडर तक वायर लगी होते हैं और जब दुर्घटना होता है तो वह सिलेंडर तक इलेक्ट्रिक करंट सप्लाई करते हैं जिसके बाद सॉलिड केमिकल गैस बन जाता है और एयर बैग फुल जाता हैं। इन सारी प्रोसेस में महज माइक्रो सेकंड लगते हैं।
क्या है पुरानी कारों में एयरबैग लगवा सकते हैं?
सभी पुरानी कारों में एयर बैग नहीं लगाए जा सकते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि अपनी पुरानी कार में एयरबैग लगवाना तो आपको बता दें कि जितनी की आपकी पूरानी कार होगी, उसे अधिक पैसे एयरबैग लगावाने में खर्च हो जाएंगे। आप अपनी पुरानी कार के स्टीयरिंग सिस्टम को हटवा कर ऐसी स्टीयरिंग लगवा सकते हैं जिनमें आसानी से एयरबैग का सिस्टम फिट हो जाए, हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सभी पुरानी कारों में ये सिस्टम फिट नहीं हो सकता है।
वही इसकी लागत की बात करें तो 4 से 5 लाख रुपये खर्च हो जाएंगे। इसके साथ ही साथ सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं रहेगी। इसके पीछ का कारण है कि जब भी कोई नई कार मार्केट में आती है तो उसे बनाते समय ही काफी टेस्टिंग किया जाता है फिर उस कार के साथ एयर बैग फिट किया जाता है। वो एयरबैग स्पेशली उस कार के लिए ही डिजाइन किया जाता है।