Highlights
- एप्पल टाउन नाम से जाने जाना वाला सोपोर के बागों में अब हो रही कीवी की खेती
- सोपोर के किसान ने लिखी सफलता की एक नई कहानी
- कीवी फल की खेती कर कम लागत में ज्यादा मुनाफे की है संभावना
Kiwi Farming: कश्मीर में एप्पल टाउन के नाम से मशहूर सोपोर के बागों में अब कीवी की खेती भी होने लगी है। स्थानीय लोगों के लिए कीवी फल का आनंद लेना अब बहुत ही सुलभ हो गया है। बारामूला जिले के सोपोर के किसान बशीर अहमद ने अब सेब की खेती छोड़कर कीवी की फसल उगाना शुरु किया है। उन्होंने अपना खुद का एक कीवी बाग स्थापित किया है। अनुकूल मौसम के साथ इस किसान ने पांच साल पहले कीवी की खेती की शुरुआत की थी, बशीर ने सोपोर में अपने बगीचे में पांच कनाल जमीन पर कीवी उगाई और अब इस साल 25 से 30 टन उत्पादन होने की उम्मीद से बशीर खुश हैं। बशीर की सफलता से उत्साहित होकर कई अन्य किसानों ने भी सेब की खेती छोड़ कीवी की खेती करना चाहते हैं। वे लोग बशीर से कीवी की खेती के गुर भी सीख रहे हैं।
कीवी को लेकर जानकारी जुटाई
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक 63 वर्षीय बशीर अहमद वार एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इंडिया टीवी से बात करते हुए बशीर ने कहा कि खेती और बागवानी विशेषज्ञों से संपर्क करने के बाद मैंने बाग में कीवी के पौधे लगाने का फैसला किया। बशीर ने कहा, मैं हिमाचल प्रदेश, कृषि विश्वविद्यालय और बागवानी विभाग से कीवी के पौधे ले आया और इसकी खेती के बारे में सब कुछ जानने के बाद ही मैंने कीवी की खेती शुरू की है और "मैं भविष्य में नई किस्मों के साथ कीवी के बाग को 30 कनाल भूमि तक विस्तारित करना चाहता हूं। इस साल में अपने 5 कनाल बगीचे से 25-30 टन कीवी उत्पादन की उम्मीद कर रहा हूं।" उन्होंने कहा, "मैंने अपने बगीचे में पांच कनाल जमीन पर" 'बावर प्रणाली' (लोहे से बनी एक प्रकार की छत) बनाई, जिस पर पौधों के तने टिके हुए थे, जिस पर मेरे लगभग 1.50 लाख रुपए खर्च हुए"।
सेब के मुकाबले कीवी की खेती किफ़ायती और फायदेमंद
बशीर ने कहा कि मेरी राय में तो कीवी की खेती सेब के मुक़ाबले में बेहतर है। "मुझे खुद से प्रेरणा मिली कि मैं सेब की जगह कीवी उगाना शुरू करूं, क्योंकि सेब की खेती में काफी ज़्यादा निवेश आ रहा था। सेब की खेती में कीटनाशकों और काफी रसायनों का उपयोग करना पड़ता हैं लेकिन कीवी में किसी तरह का कोई रसायन इस्तेमाल नहीं होता है। बशीर ने कहा की सेब के पेड़ मार्च के महीने में खिलते हैं जो बारिश का मौसम रहता है और जब भी बारिश होती है तो सेब की पंखुड़ियां जल्दी गिर जाती हैं जिससे किसानों में चिंता पैदा होती है लेकिन कीवी गर्मी के मौसम में उगना शुरू होता है जिस से नुक्सान होने का कोई डर नहीं रहता है। जानकार मानते है की कश्मीर में बदलते मौसम में भी कीवी की फसल पर ज़्यादा असर नहीं पड़ता है। सेब की तुलना में कीवी फल को रासायनिक या कीटनाशक छिड़काव की जरूरत नहीं पड़ती है और एक बार इसकी खेती पूरी होने के बाद यह आत्मनिर्भर हो जाती है।
चीन में लाल रंग की कीवी
बशीर ने कहा, पहले साल में फसल बहुत कम थी और मैं इसकी देखभाल करता रहा और दूसरे साल में कीवी का कोई फल नहीं था, लेकिन तीसरे साल में कीवी फल की भरपूर पैदावार हुई। उन्होंने कहा, "मैंने इंटरनेट पर देखा है कि कीवी का उत्पादन चीन, हॉलैंड और न्यूजीलैंड में किया जा रहा है। चीन इस समय लाल रंग की कीवी की नई किस्म उगा रहा है। मैंने सुना है कि हॉलैंड में कीवी का रंग नीला होता है"। बशीर ने पहले ही न्यूजीलैंड और हॉलैंड के बागवानों से एक अंतरराष्ट्रीय संयंत्र आपूर्तिकर्ता के माध्यम से संपर्क किया था ताकि इन कीवी पौधों को उपलब्ध कराया जा सके जो अंदर रंगीन फ्लश पैदा कर रहे हैं। बशीर का कहना है की भारत में कीवी को केवल हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में ही उगाया जा सकता है क्योंकि कीवी फल की कटाई नवंबर के पहले सप्ताह में होगी और इस साल मौसम की अच्छी स्थिति के कारण यह बहुत पहले होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कश्मीर भविष्य में इस फल का एक्सपोर्टर बन सकता है क्योंकि इसकी अच्छी मार्केटिंग क्षमता है।
मेरी कीवी पूरी तरह से जैविक
उन्होंने कहा कि मेरी कीवी का फ्लश हरा है और यह प्राकृतिक है और बिना किसी कीटनाशक या कवकनाशी के पूरी तरह से एक जैविक फल है। उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया भर में जैविक फलों की काफी मांग है और मैं इसे बड़े पैमाने पर उगाना चाहता हूं। उन्होंने उन उत्पादकों से भी आग्रह किया कि वो कीवी खेती को केवल जैविक तरीके से उगाने के लिए तरीके अपनाएं।
नई पीढ़ी के लोगों को सेब की जगह कीवी और अंगूर की खेती भी करनी चाहिए
बशीर की सफलता से उत्साहित होकर, कई सेब और अन्य किसानों ने अपने खुद के बाग स्थापित करने के लिए समर्थन मांगने के लिए उनके बाग में आना शुरू कर दिया है। यहां आए लोगों का कहना है की हम बहुत खुश है कि अब कश्मीर में सेब के साथ साथ कीवी की खेती भी हो रही है। उनका कहना है की कश्मीर के लोगों को सिर्फ सेब पर ही नहीं निर्भर रहना चाहिए क्योंकि सेब की खेती में जितना खर्चा होता है वहीं उसमे मुनाफा अब कम होता है। नई पीढ़ी के युवाओं को कीवी या अंगूर की खेती की तरफ भी अपना ध्यान देना चाहिए इसमें मुनाफे को लेकर नुकसान का डर नहीं लगा रहेगा।