Friday, December 20, 2024
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कनाडा में खालिस्तानी ग्रुप मानव तस्करी को दे रहे अंजाम, इस तरह भोले-भाले सिख युवाओं का कर रहे इस्तेमाल

कनाडा में खालिस्तानी संगठन धड़ल्ले से अपने नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए बड़ी रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसके लिए वह भोले-भाले सिख युवाओं को बरगला रहे हैं और उन्हें काम देने के बहाने अपनी साजिश में शामिल कर रहे हैं।

Reported By : Abhay Parashar Edited By : Rituraj Tripathi Published : Sep 26, 2023 10:24 IST, Updated : Sep 26, 2023 10:42 IST
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Image Source : AP/FILE खालिस्तानी ग्रुप मानव तस्करी को दे रहे अंजाम

नई दिल्ली: खुफिया एजेंसियों के हवाले से कनाडा में चल रही बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। कनाडा में खालिस्तानी ग्रुप मानव तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि पंजाब के युवाओं में कनाडा बसने की चाहत बढ़ती जा रही है। लेकिन हर किसी को 'सेलेक्टिव' कनाडा वीजा मिलना संभव नहीं है। यही वजह है कि निज्जर, मोनिंदर सिंह बुआल, परमिंदर पंगली, भगत सिंह बराड़ जैसे अन्य खालिस्तान के समर्थक कनाडा की जमीन से अपने खालिस्तान समर्थक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कनाडा में भोले-भाले सिख युवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। पंजाब के इन सिख युवाओं को प्लंबर, ट्रक ड्राइवर जैसी नौकरियों या सेवादारों और गुरुद्वारों में पंथियों और रागियों जैसे धार्मिक कार्यों के लिए कनाडा बुलाया जाता है और फिर उन्हें अपने खालिस्तानी एजेंडे में शामिल कर लिया जाता है। 

अपने मंसूबों को कामयाब करने के लिए ये लोग कनाडा में भारतीय युवाओं और छात्रों की पहचान करते हैं। ऐसे युवा लड़कों की लगातार पहचान की जा रही है, जिनको वहां अपना गुजारा करना मुश्किल हो रहा है और जिन्हें नौकरी की जरूरत है। सूत्रों की मानें तो कनाडा में बहुत सारे ऐसे भारतीय मौजूद हैं, जो वहां अपनी पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है। उन्हें नौकरी का लालच देकर या उनकी नौकरी लगवाकर उन्हें अपनी खालिस्तानी ब्रिगेड में शामिल करते हैं। 

लगभग 30 से ज्यादा गुरुद्वारों में खालिस्तानियों ने अपनी पैठ जमाई

जब आईएसआई समर्थित खालिस्तानी समूह 'सिख फॉर जस्टिस'/एसएफजे को अपने भारत विरोधी अभियान 'पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम' के लिए समर्थन प्राप्त करना मुश्किल हो रहा था, तो निज्जर और उसके दोस्तों ने इन नए भर्ती हुए लड़कों का इस्तेमाल ये दिखाने के लिए किया कि उनका अभियान सफल हो रहा है। सूत्रों की मानें तो कनाडा के सरे, ब्रैम्पटन, एडमोंटन वगैरह में लगभग 30 से ज्यादा गुरुद्वारों में खालिस्तानियों ने अपनी पैठ जमा ली है।

इसके अलावा निज्जर, बुआल और भगत सिंह बराड़ ने पंजाब में दविंदर बांभिया गिरोह, अर्श दल्ला गिरोह, लखबीर लांडा गिरोह जैसे गैंगस्टरों के साथ सांठगांठ बनाई है और आतंकवादी हमलों के लिए पंजाब में अपने गुर्गों का इस्तेमाल करने के बदले में इन कुख्यात गैंगस्टरों को कनाडा ले आए हैं। 

उग्रवाद पर कनाडा का रुख नरम 

खालिस्तानी चरमपंथी 'बोलने की आजादी', 'राजनीतिक सोच' जैसी धारणाओं की आड़ में लगभग 50 सालों से कनाडा की  जमीन से खुले रूप से काम कर रहे हैं। 9/11 से पहले के समय में 1985 में खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा किया गया कनिष्क बम विस्फोट सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक था। हालांकि, कनाडाई एजेंसियों के ढीले रवैये की वजह से तलविंदर सिंह परमार और उनके खालिस्तानी चरमपंथियों का समूह आजाद हो गया। यही वजह है कि वही तलविंदर सिंह परमार अब कनाडा में खालिस्तानियों का हीरो है और 'सिख्स फॉर जस्टिस'/एसएफजे ने अपने अभियान केंद्र का नाम उसके नाम पर रखा है। 

पिछले कुछ वर्षों में, खालिस्तानी चरमपंथियों का हौसला और बढ़ गया और उन्होंने कनाडा से बेखौफ होकर काम करना शुरू कर दिया।  पिछले दशक में पंजाब में सामने आए आधे से ज्यादा आतंकी मामलों में कनाडा स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों के लिंक सामने आए हैं। 2016 के बाद पंजाब में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों की कई हत्याएं निज्जर और उसके सहयोगियों की प्लानिंग थीं।

लेकिन, कनाडाई एजेंसियों ने कभी भी निज्जर और उसके दोस्तों भगत सिंह बराड़, पैरी दुलाई, अर्श दल्ला, लकबीर लांडा और कई अन्य लोगों के खिलाफ कोई पूछताछ या जांच शुरू नहीं की। पंजाब में इतनी हत्याओं में शामिल होने के बावजूद वो कनाडा में हीरो बने रहे लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम इनके खिलाफ नहीं उठाया।

पंजाब झेल रहा भारी नुकसान

पंजाब आज कनाडा से चलने वाले जबरन वसूली रैकेटों के कारण भारी नुकसान झेल रहा है। कनाडा स्थित गैंगस्टर ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से ड्रग्स लाते हैं और पूरे पंजाब में बेचते हैं। इस पैसे का एक हिस्सा कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों को जाता है। कनाडा में भी कई खालिस्तानी नशीली दवाओं के व्यापार का हिस्सा हैं। पंजाब के गैंगस्टरों के बीच कंपटीशन अब कनाडा में नार्मल सी बात है।  

इसमें अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत समर्थक सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक की 2022 में सरे में ही हत्या कर दी गई थी, एक हत्या जिसके बारे में कई लोग कहते हैं कि यह हरदीप सिंह निज्जर द्वारा रची गई थी।  लेकिन, कनाडाई एजेंसियों ने इसके पीछे के असली लोगों का पता लगाने और असली साजिश का पर्दाफाश करने में कोई एक्शन नहीं लिया। इस मामले में केवल दो स्थानीय अपराधियों को आरोपित किया गया जो भारतीय मूल के नहीं थे।

खालिस्तानियों की नरम पकड़ ने यह साफ कर दिया कि पीकेई के ताकतवर और पैसे की ताकत से भारत समर्थक सिखों को कनाडा के सभी बड़े गुरुद्वारों से बाहर निकाल दिया गया। कनाडा में अपने 'बढ़ते दबदबे' की वजह से खुश होकर, पीकेई ने कनाडा में भारतीय प्रवासियों में अल्पसंख्यक हिंदुओं को खुलेआम डराना और उनके मंदिरों को तोड़ना शुरू कर दिया है।  

कनाडा में भारतीय मिशनों और राजनयिकों की सुरक्षा के लिए खालिस्तानियों द्वारा हालही में दी गईं खुली धमकियां वियना कन्वेंशन के तहत कनाडा का एक बहुत ही गंभीर विकास और चुनौती दायित्व है। ऐसा लगता  है कि कनाडा में मानवाधिकारों को मापने के लिए अलग-अलग नियम हैं। पंजाब में छोटे-छोटे मुद्दों पर भी कनाडा की आवाजें बहुत मजबूत हैं, जबकि कनाडा में बैठे पीकेई द्वारा दोनों देशों को प्रभावित करने वाली धमकी, हिंसा, मादक पदार्थों की तस्करी और जबरन वसूली पर पूरी तरह से चुप्पी है।

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