Highlights
- केरल में बीते 24 घंटे के दौरान कोविड-19 के 4,463 मरीज संक्रमण मुक्त हुए।
- राज्य में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या 44,637 हो गयी है।
- तिरुवनंतपुरम में कोरोना वायरस के सर्वाधिक 790 नये मामले सामने आए।
तिरुवनंतपुरम: केरल में शुक्रवार को कोविड-19 से 269 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 41,124 हो गई है। वहीं, संक्रमण के 4,995 नये मामले सामने आने के साथ ही राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 51,45,085 हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी। मौत के नए मामलों में ऐसे मामले में भी शामिल हैं जिन्हें किन्हीं कारणवश पूर्व में मृतक संख्या में नहीं जोड़ा गया था। इनमें से 44 मरीजों की मौत बीते 24 घंटे में हुई। विज्ञप्ति के मुताबिक केरल में बीते 24 घंटे के दौरान कोविड-19 के 4,463 मरीज संक्रमण मुक्त हुए, जिससे राज्य में इस जानलेवा वायरस के संक्रमण को मात देने वालों की संख्या बढ़कर 50,70,497 हो गई है।
विज्ञप्ति में बताया गया है कि राज्य में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या 44,637 हो गयी है, जिसमें से केवल 7.5 प्रतिशत मरीज ही अस्पतालों में भर्ती हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य के 14 जिलों में से तिरुवनंतपुरम में सर्वाधिक 790 नये मामले सामने आए। इसके बाद एर्णाकुलम में 770 जबकि कोझिकोड में कोरोना वायरस संक्रमण के 578 नये मामले दर्ज किए गए।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि केरल में बीते 24 घंटे के दौरान 62,343 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई। राज्य में कुल 1,59,899 लोगों को निगरानी में रखा गया है, जिसमें से 4,742 लोग विभिन्न अस्पतालों में बने पृथक-वास में भर्ती हैं। केरल में कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिए पात्र आबादी के 66.7 प्रतिशत लोग वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके हैं।
इस बीच केरल हाईकोर्ट ने अपने पूर्व के एक आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया था कि पात्र लोगों को वर्तमान अनिवार्य 84 दिनों के बजाय चार सप्ताह के अंतराल के बाद कोविशील्ड की दूसरी खुराक लेने की अनुमति दी जाए। मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की पीठ ने केंद्र सरकार की अपील पर विचार करने के बाद अपनी एकल पीठ का आदेश रद्द कर दिया।
अदालत ने कहा कि वह केंद्र सरकार के नीतिगत फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। केंद्र ने काइटेक्स गारमेंट्स लिमिटेड (केजीएल) की याचिका पर न्यायमूर्ति पी बी सुरेश कुमार के तीन सितंबर को सुनाए गए फैसले को चुनौती दी थी। केजीएल की याचिका में 84 दिनों तक इंतजार किए बिना उसने अपने कर्मचारियों को वैक्सीन की दूसरी खुराक देने की अनुमति का अनुरोध किया था।