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Kerla News: केरल हाई कोर्ट ने अवैध धार्मिक स्थलों को बंद करने का आदेश दिया

Kerla News: आदेश में कहा गया है कि केरल के मुख्य सचिव और राज्य पुलिस प्रमुख सभी संबद्ध अधिकारियों को आवश्यक आदेश/परिपत्र जारी कर यह पता लगाने का निर्देश दें कि कोई धार्मिक स्थल और उपासना गृह दिशानिर्देशों के अनुरूप सक्षम प्राधिकारियों की अनुमति हासिल किए बगैर कहीं अवैध रूप से तो संचालित नहीं हो रहा।

Edited By: Pankaj Yadav
Published : Aug 26, 2022 20:12 IST, Updated : Aug 26, 2022 20:12 IST
Kerla High Court
Image Source : PTI Kerla High Court

Highlights

  • अवैध धार्मिक स्थलों को लेकर राज्य सरकार ने जारी किए निर्देश
  • आदेश में कहा- कोई भी धार्मिक स्थल अवैध रूप से संचालित नहीं होंगे

Kerla News: केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि यदि आवश्यक अनुमति के बगैर कोई धार्मिक स्थल या प्रार्थना गृह संचालित किया जा रहा है तो वह जरूरी आदेश जारी करे। अदालत ने सरकार को अपरिहार्य परस्थितियों एवं दुर्लभ मामलों को छोड़ कर किसी भवन को धार्मिक स्थल/उपासना गृह में तब्दील करने से निषिद्ध करने वाला एक अलग परिपत्र/आदेश जारी करने का निर्देश दिया। साथ ही, उस खास स्थान की जमीनी हकीकत के बारे में पुलिस और खुफिया विभाग से रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद यह कदम उठाया जाए। 

अवैध धार्मिक स्थल का पता लगा उसे बंद करने का निर्देश दिया

न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने आदेश में कहा, ‘‘केरल के मुख्य सचिव और राज्य पुलिस प्रमुख सभी संबद्ध अधिकारियों को आवश्यक आदेश/परिपत्र जारी कर यह पता लगाने का निर्देश दें कि कोई धार्मिक स्थल और उपासना गृह दिशानिर्देशों के अनुरूप सक्षम प्राधिकारियों की अनुमति हासिल किए बगैर कहीं अवैध रूप से तो संचालित नहीं हो रहा।’’ इसके अलावा आदेश में यह भी कहा गया है, ‘‘यदि इस तरह का कोई धार्मिक स्थल या उपासना गृह बगैर आवश्यक अनुमति के संचालित हो रहा है तो उसे बंद करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।’’ उच्च न्यायालय ने एक याचिका का निस्तारण करते हुए यह आदेश जारी किया। याचिका के जरिए मलप्पुरम जिले में अमरबालम ग्राम पंचायत में एक वाणिज्यिक भवन को मुस्लिम धार्मिक स्थल में तब्दील करने की अनुमति मांगी थी। अदालत ने कहा कि धार्मिक स्थल और उपासना गृह के लिए अर्जी पर विचार करने के दौरान इसी तरह के नजदीकी धार्मिक स्थल/उपासना गृह की दूरी का अर्हता के रूप में आदेश/परिपत्र में स्पष्ट रूप से जिक्र किया जाना चाहिए। 

दुर्लभ मामलों को छोड़ कर किसी नए धार्मिक स्थल को अनुमती नहीं दी जाएगी

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अपनी विशेष भोगौलिक स्थिति के कारण केरल ईश्वर का स्थान कहा जाता है। लेकिन हम धार्मिक स्थलों और उपासना गृहों से आजिज आ चुके हैं तथा हम दुर्लभ मामलों को छोड़ कर किसी नए धार्मिक स्थल और उपासना गृह के लिए अनुमति देने की स्थिति में नहीं हैं। अदालत ने अपने आदेश में 2011 की जनगणना रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में सभी धर्मों के समान संख्या में धार्मिक स्थल और उपासना गृह हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार और स्थानीय निकायों को भविष्य में धार्मिक स्थलों और उपासना गृहों के लिए अनुमति प्रदान करते समय सतर्क रहना चाहिए। अदालत ने कहा, ‘‘यदि प्रत्येक हिंदू, ईसाई, मुस्लिम, यहूदी और पारसी सहित अन्य धर्मों के लोगों अपने आवास के नजदीक धार्मिक स्थल और उपासना गृह का निर्माण करना शुरू कर देते हैं तो राज्य को साम्प्रदायिक वैमनस्य जैसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा।’’

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