Highlights
- अलाप्पुझा जिले में मुस्लिम आबादी बहुत ज्यादा है
- मुस्लिम संगठन इस अफसर की नियुक्ति का विरोध कर रहे थे
- विरोध को देखते हुए केरल सरकार ने वापस लिया फैसला
Kerala News: केरल के अलाप्पुझा से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। यहां डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर (DM) की नियुक्ति का फैसला सरकार ने सिर्फ इसलिए वापस ले लिया क्योंकि मुस्लिम संगठन इस अफसर की नियुक्ति का विरोध कर रहे थे। केरल सरकार ने IAS अफसर श्रीराम वेंकटरामन का पहले अलापुझा के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के तौर पर का ट्रांसफर किया लेकिन जब मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया तो मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने श्रीराम वेंकटरामन की पोस्टिंग केरल स्टेट सिविल सप्लाइस कॉरपोरेशन के जनरल मैनेजर के तौर पर कर दी।
विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई लेफ्ट पार्टियां
बता दें कि अलाप्पुझा जिले में मुस्लिम आबादी बहुत ज्यादा है। मु्स्लिम संगठनों के विरोध को देखते हुए कांग्रेस ने भी श्रीराम वेंकटरामन की नियुक्ति का विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद लेफ्ट पार्टियां भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गई और आखिरकार पिनराई विजयन को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
जानें, क्यों हो रहा है नए DM का विरोध
श्रीराम वेंकटरामन के विरोध की वजह ये बताई गई कि उनके खिलाफ एक आपराधिक मुकदमा दर्ज है। असल में, 2019 में K M बशीर नाम के एक पत्रकार की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। जांच में पता चला कि जिस कार ने बशीर को टक्कर मारी उसे श्रीराम वेंकटरामन चला रहे थे। इसी को लेकर उनका विरोध हुआ था लेकिन कलेक्टर के ट्रांसफर को लेकर अब बीजेपी केरल सरकार पर सवाल उठा रही हैं। केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि अगर सांप्रदायिक संगठनों की डिमांड पर एक कलेक्टर को हटा दिया गया है तो क्या केरल सरकार आगे भी इसी तरह दबाव पर काम करेगी।
VHP नेता सुरेंद्र जैन ने सीधे-सीधे केरल की सरकार पर निशाना साधा। सुरेंद्र जैन ने कहा कि केरल की सरकार जेहादियों के सामने झुक गई। जिस सरकार ने जेहादी ताकत के सामने सरेंडर किया है, उसे जनता जवाब देगी। वहीं, CPM के नेता एलामारम करीम ने वी मुरलीधरन को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि केरल की सरकार ने जो कुछ किया वो जनभावना का सम्मान करते हुए किया, इसके पीछे कोई दबाव नहीं था।
मुस्लिम वोट बैंक के चक्कर में CM ने वापस लिया फैसला?
केरल की सरकार कहे कुछ भी लेकिन ये बात तो साफ दिख रही है कि मुस्लिम वोट बैंक के चक्कर में पिनराई विजयन ने अपना फैसला वापस लिया। एक्सीडेंट के केस की वजह से ट्रांसफर वापस लेने की बात गले नहीं उतरती क्योंकि ये केस नया नहीं है, 2019 का है और ऐसा भी नहीं है कि लेफ्ट फ्रंट की सरकार को कल ही इस केस के बारे में पता लगा।