केरल कलामंडलम ने अपने करीब 90 साल के इतिहास में पहली बार 10 जुलाई को कैंटीन में विद्यार्थियों को मांसाहार परोसा। यह प्रतिष्ठित संस्थान राज्य की पांरपरिक मंचन कलाओं को संरक्षण और प्रोत्साहन देने के लिए स्थापित किया गया है। संस्थान के एक अधिकारी ने बताया कि विय्यूर केंद्रीय कारागार के कैदियों द्वारा संचालित मशहूर रसोईघर में तैयार चिकन बिरयानी बुधवार को विद्यार्थियों को परोसी गई।
अधिकारी ने बताया कि 1930 में स्थापना से लेकर अबतक के इतिहास में पहली बार संस्थान में विद्यार्थियों को मांसाहार परोसा गया है। कलामंडलम आवासीय संस्थान हैं जिसमें कथकली, मोहनीअट्टम, थुल्लाल, कुटीअट्टम (पुरुष और महिला, पंचवैद्यम, कर्नाटक संगीत, मृंदगम जैसी मंचन कलाओं का प्रशिक्षण दिया जाता है।
विद्यार्थियों की मांग पर परोसी बिरयानी
संस्थान के एक अधिकारी ने बताया कि संस्थान के अधिकारियों ने मांस आधारित व्यंजन परोसने का फैसला विद्यार्थियों की मांग पर किया जिन्होंने शाकाहार तक उन्हें सीमित नहीं करने की मांग की थी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में विद्यार्थियों, शिक्षकों और गैर शिक्षण कर्मियों के प्रतिनिधित्व वाली मेस समिति बनाई गई और विद्यार्थियों की मांग पर 10 जुलाई को चिकन बिरयानी परोसने का फैसला किया गया।
महीने में दो बार मिल सकता है मांसाहार
अधिकारी ने बताया कि मेस समिति की अगली बैठक 20 जुलाई को होगी जिसमें अन्य मांस आधारित व्यंजनों को परोसने पर फैसला होने की उम्मीद है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ खाना मुफ्त में मुहैया कराया जाता है और मांस आधारित व्यंजन महीने में एक या दो बार परोसे जा सकते हैं।’’ (इनपुट- पीटीआई भाषा)