Highlights
- PFI हड़ताल में हुई हिंसा को लेकर 361 मामले दर्ज: पुलिस
- अदालत ने मामले की अगली सुनवाई सात नवंबर की तय की है
- हिंसा में 58 बसों की सीटों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था
Kerala News: केरल हाई कोर्ट ने ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) द्वारा की गई हड़ताल और उस दौरान हिंसा में हुए नुकसान की राज्य सरकार से सोमवार को जानकारी मांगी। न्यायमूर्ति ए.के जयशंकर नाम्बियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सीपी ने 23 सितंबर की हड़ताल के दौरान हुई हिंसा को लेकर दर्ज प्रत्येक मामले में नुकसान की जानकारी देने का निर्देश दिया। साथ ही, अदालत ने PFI और इसके पूर्व महासचिव अब्दुल सतार की संपत्ति कुर्क किए जाने का विवरण देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
सात नवंबर को होगी अगली सुनवाई
सरकार को हिंसा के सिलसिले में प्रत्येक अदालत में दायर जमानत अर्जियों का विवरण भी देने को कहा गया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई सात नवंबर को निर्धारित की है। पुलिस ने बताया कि उसने हड़ताल के दिन हुई हिंसा को लेकर अब तक कुल 361 मामले दर्ज किए हैं और 2,674 लोगों को गिरफ्तार किया है।
पहले 52 करोड़ रुपये जमा करने का दिया था निर्देश
पूर्व में, अदालत ने प्रतिबंधित संगठन पीएफआई और उसके पूर्व महासचिव (केरल) सतार को क्षतिपूर्ति के तौर पर गृह विभाग के पास 52 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया था। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम और सरकार ने हड़ताल के दौरान हुई हिंसा के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने का अनुरोध किया था।
निगम ने अपनी याचिका में दलील दी है कि हड़ताल के दौरान हुई हिंसा में उसकी 58 बसों की सीटों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया, 10 कर्मचारियों और एक यात्री को घायल कर दिया गया था। PFI के कार्यालयों पर देशभर में छापा पड़ने और इसके नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में संगठन के तत्कालीन महासचिव सतार ने हड़ताल का आह्वान किया था।