नई दिल्ली: केरल उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान उस आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसने सड़क पर एक लड़की पर कथित तौर पर भद्दी टिप्पणी की थी। युवक की टिप्पणी पर जब लड़की के पिता ने विरोध जताया तो उनसे मारपीट भी की गई। इस मामले में अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक पिता और बेटी भद्दी टिप्पणी सुने बिना सड़क पर एक साथ नहीं चल सकते।
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि 14 वर्षीय बेटी के खिलाफ भद्दी टिप्पणियों पर आपत्ति जताने पर आरोपी ने कथित तौर पर पिता को हेलमेट से मारा, जिससे वह घायल हो गए। नाबालिग लड़की के पिता एक सेवानिवृत्त पुलिस उप-निरीक्षक हैं। अदालत ने बुधवार को कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अगर कोई आदमी और उसकी बेटी भद्दी टिप्पणी सुने बिना सड़क पर एक साथ नहीं चल सकते। यह सब रुकना चाहिए।’’
वहीं, आरोपी ने दावा किया कि लड़की के पिता ने उस पर और उसके साथ मौजूद एक अन्य व्यक्ति पर हमला किया था। इस पर अदालत ने कहा कि कोई भी अभिभावक अपने बच्चे के खिलाफ ऐसी भद्दी टिप्पणी सुनेगा, तो उसकी यही प्रतिक्रिया होगी। आरोपी ने अदालत से यह भी कहा कि उसके खिलाफ एकमात्र गैर-जमानती अपराध भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) के तहत था, जिसे तत्काल मामले में लागू नहीं किया गया।
पीड़ित पक्ष ने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए दलील दी कि सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी अपनी 14 वर्षीय बेटी के साथ सड़क पर चल रहे थे, जब याचिकाकर्ता और एक अन्य आरोपी ने उनके खिलाफ भद्दी टिप्पणियां कीं तो पिता ने इसका विरोध किया जिसके बाद उनके सीने पर आरोपी ने हेलमेट से हमला कर दिया।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, आरोपों की प्रकृति को देखते हुए कोर्ट का मानना है कि याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत का हकदार नहीं है। अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता (आरोपी) मामले के जांच अधिकारी के सामने आत्मसमर्पण करता है, तो उसे उसी दिन न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा।