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Kerala News: अदालत ने 15 साल की रेप पीड़िता को दी अबॉर्शन की इजाजत, लेकिन साथ ही रख दी ये शर्त

Kerala News: केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने 14 जुलाई को जारी एक आदेश में कहा, "मामले पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, मैं पूरी तरह से कानून पर अड़िग रहने के बजाय नाबालिग लड़की के पक्ष में झुकना उचित समझता हूं।"

Reported By : PTI Edited By : Swayam Prakash Published : Jul 16, 2022 18:37 IST, Updated : Jul 16, 2022 18:37 IST
Kerala High Court
Image Source : FILE PHOTO Kerala High Court

Highlights

  • केरल हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़िता को दी गर्भपात की इजाजत
  • 15 साल की लड़की की याचिका पर अदालत ने दिया निर्देश
  • जज बोले- कानून के बजाय लड़की के पक्ष में झुकना उचित समझता हूं

Kerala News: केरल हाईकोर्ट ने एक बलात्कार पीड़िता नाबालिग लड़की के 24 सप्ताह के गर्भ को खत्म करने की अनुमति दे दी है। साथ ही कोर्ट ने गर्भपात प्रक्रिया के संचालन के लिए एक मेडिकल टीम गठित करने का भी निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने 15 साल की लड़की की याचिका पर विचार करते हुए ये शर्त भी रखी कि यदि बच्चा जन्म के समय जीवित है, तो अस्पताल यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चे को बेहतर मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जाए। 

"अगर बच्चा जन्म के समय जिंदा होता है तो..."

15 साल की नाबालिक लड़की की याचिका पर केरल हाईकोर्ट ने उसे अबॉर्शन की इजाजत दे दी। कोर्ट ने कहा कि चूंकि ये गर्भ 24 सप्ताह का हो चुका है और अगर बच्चा जन्म के समय जीवित होता है तो उसे अस्पताल बेहतर इलाज दे। साथ ही अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है, तो राज्य और उसकी एजेंसियां ​​पूरी जिम्मेदारी लेंगी और बच्चे को चिकित्सा सहायता और सुविधाएं प्रदान करेंगी। अदालत ने सरकारी अस्पताल में पीड़ित किशोरी के गर्भपात कराने की अनुमति दी। 

जज बोले- लड़की के पक्ष में झुकना उचित समझता हूं
केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने 14 जुलाई को जारी एक आदेश में कहा, "मामले पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, मैं पूरी तरह से कानून पर अड़िग रहने के बजाय नाबालिग लड़की के पक्ष में झुकना उचित समझता हूं।" गर्भ का चिकित्सकीय समापन कानून, 1971, चौबीस सप्ताह की सीमा प्रदान करता है, इसके बाद गर्भपात की अनुमति नहीं है।

अविवाहिता को कोर्ट से अबॉर्शन की नहीं मिली थी इजाजत
केरल हाईकोर्ट के आदेश से एक दम उलट शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक गर्भवती अविवाहित महिला को अबॉर्शन कराने की अनुमति देने से मना कर दिया था। कोर्ट ने महिला को ये कहते हुए मना किया कि असल में ये भ्रूण हत्या के समान है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की पीठ ने गर्भपात की अनुमति मांगने वाली महिला की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने सुझाव दिया कि महिला को बच्चे को जन्म देने तक "कहीं सुरक्षित" रखा जाए और उसके बाद बच्चे को गोद दिया जा सकता है। 

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