नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि 140 करोड़ के देश में केवल 10-15 से लेकर 20 लिंचिंग की घटनाएं हुई है, और इन सब मामलों में कार्रवाई हुई है। आरिफ मोहम्मद खान इंडिया टीवी पर रजत शर्मा के शो 'आप की अदालत' में सवालों के जवाब दे रहे थे। राज्यपाल ने कहा - "एक भी मासूम आदमी को मारने का हक़, भले ही वो गुनहगार हो, किसी प्राइवेट आदमी को नहीं है, कार्रवाई करने का हक़ सिर्फ और सिर्फ सरकार और कानून को है। मेरी ऐसे लोगों के साथ कभी हमदर्दी नहीं हो सकती, जो कानून को अपने हाथ में लेते हैं। जिन लोगों ने भी लिंचिंग की, उनके खिलाफ कार्रवाई हुई, एक भी केस नहीं है, जिसमें कार्रवाई न हुई हो। तो सवाल ये नहीं हो सकता कि लिंचिंग क्यों हुई। सवाल ये हो सकता है कि क्या किसी लिंचिंग करने वाले को खुला छोड़ दिया गया। नहीं, कार्रवाई हुई।"
'आपको ये तय करना पड़ेगा कि हमेशा कहां पर बोलना चाहिए और किस जगह बोलना चाहिए'
जब रजत शर्मा ने कहा कि AIMIM उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शौकत अली ने कहा है कि गोश्त के नाम पर मुसलमानों की लिंचिंग हो रही है, मुसलमानों के इलाकों में बैंकों के एटीएम ब्लैकलिस्ट किये जा रहे हैं, दाढी टोपी पहनने वालों को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन आरिफ साहब तब कुछ नहीं बोलते, तो राज्यपाल ने कहा - "आपको ये तय करना पड़ेगा कि हमेशा कहां पर बोलना चाहिए और किस जगह बोलना चाहिए। if you want to play to the gallery (सस्ती वाहवाही के लिए बोलना चाहते हैं), तो आप रोज़ाना बयान दीजिये, गैरजिम्मेदारी की बातें कीजिए, लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपकी बातों का असर पड़े तो आपको ये तय करना होगा कि मुझे किस जगह, क्या और किस समय बोलना है। 1947 की आजादी के समय की नफरत को लोग बड़ी हद तक भूल चुके थे, लेकिन 1986 में (शाह बानो केस के समय) उसे दोबारा जिंदा कर दिया ये कह कर, कि हम अलग समुदाय और अलग पहचान वाले हैं।"
'केरल में कोई ये नहीं कहता कि ये मुसलिम भाषा है, ये हिन्दू भाषा है'
जब रजत शर्मा ने कहा कि "द केरला स्टोरी" जैसी फिल्म जब बनाई गई तो मुसलमानों का कहना था कि हमें टारगेट करने के लिए ये फिल्म बनाई, तो आरिफ मोहम्मद खान ने जवाब दिया - "केरल में कमाल का माहौल है, वहां आपको किसी को ये बात कहते हुए नहीं मिलेगा, कहीं भी। मुझसे एक मदरसे में एक कश्मीरी नौजवान ने पूछा कि उत्तर भारत में केरल जैसा माहौल क्यों नहीं बन रहा है। मैने कहा, क्यों नहीं हो सकता। केरल में कोई ये नहीं कहता कि ये मुसलिम भाषा है, ये हिन्दू भाषा है, कोई ये नहीं कहता कि ये मुसलिम संस्कृति है और ये हिन्दू संस्कृति है, कोई नहीं कहता कि ये मुसलिम खाना है, ये हिन्दू खाना है। एक जैसा भेष, एक जैसा खाना, एक तरह की बातें। वहां माहौल इतना अच्छा है कि गड़बड़ी पैदा करने की लगातार कोशिशें पिछले कई साल से होती रही, एक ईसाई प्रोफेसर के हाथ उस संस्था के लोगों ने काट दिये जिस पर अभी प्रतिबंध लगाया गया है। कुछ शरारती लोगों के गलत इरादों के कारण बदकिस्मती से एक आदमी की हरकत को पूरे समाज के साथ जोडने की कोशिश की जाती है, जो कि बिलकुल गलत है।"
'यूपी में उन मदरसों को बंद नहीं किया गया जो कानून के मुताबिक काम कर रहे थे'
मदरसों के मसले पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि "यूपी में उन मदरसों को बंद नहीं किया गया जो कानून के मुताबिक काम कर रहे थे। मदरसे बड़ी संख्या में बन रहे थे, जिस पर कोई नियंत्रण नहीं था। मैं कहता हूं कि जितने बड़े मदरसे हिन्दुस्तान में हैं, उतने किसी अरब देश में नहीं है। देवबंद, नदवा, बरेली जैसे बड़े मदरसे तो मुसलिम मुल्कों में नहीं है। आप इन मदरसों से कहिये कि जरा अपनी ईकाई उन मुल्कों में कायम करने की कोशिश करें, इजाज़त नहीं मिलेगी। हिन्दुस्तान में तो सबको इजाज़त है। बस इतना है कि आप कानून की परिधि में रह कर जो करते हैं, वो करें।"