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कश्मीर: ऊंचाई वाले इलाकों में रुक-रुक कर हो रही है बर्फबारी, विमान सेवाएं प्रभावित

 जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में साल की पहली बर्फबारी हुई। बर्फबारी और कम दृश्यता के कारण कश्मीर आने-जाने वाली उड़ाने प्रभावित हुईं। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 04, 2022 15:45 IST
कश्मीर:  ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रुक-रुक कर बर्फबारी, विमान सेवाएं प्रभावित
Image Source : FILE कश्मीर:  ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रुक-रुक कर बर्फबारी, विमान सेवाएं प्रभावित 

Highlights

  • गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 5.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया
  • श्रीनगर से संचालित होनेवाली 16 उड़ानें रद्द

श्रीनगर:  कश्मीर में मंगलवार को ताजा बर्फबारी होने के कारण कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी। सड़कों से भी बर्फ हटाने का काम जारी है। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार से घाटी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रुक-रुक कर बर्फबारी हो रही है। वहीं, जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में साल की पहली बर्फबारी हुई। बर्फबारी और कम दृश्यता के कारण कश्मीर आने-जाने वाली उड़ाने प्रभावित हुईं।

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ अभी तक, 16 उड़ानें रद्द की गई हैं। मौसम में सुधार होने पर विमान सेवाओं के दिन में बहाल होने की संभावना है।’’ अधिकारियों ने बताया कि गुलमर्ग और पहलगाम के पर्यटक रिज़ॉर्ट सहित सभी प्रमुख शहरों में बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया गया है। बर्फबारी के कारण घाटी में रात में तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

उन्होंने बताया कि गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 5.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, उससे एक दिन पहले रात को यहां तापमान शून्य से नीचे 5.8 डिग्री सेल्सियस था। पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 1.2 डिग्री सेल्सियस रहा, जहां रविवार रात यहां तापमान शून्य से नीचे 3.0 डिग्री सेल्सियस था। उन्होंने बताया कि काजीगुंड में न्यूनतम तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस रहा।

वहीं, दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग में तापमान शून्य से नीचे 0.4 डिग्री सेल्सियस और उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में 0.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विज्ञान विभाग ने आठ जनवरी तक मध्यम से भारी हिमपात या बारिश का पूर्वानुमान लगाया है। इस दौरान कुछ स्थानों पर भारी हिमपात की भी संभावना है।

कश्मीर में 40 दिन का 'चिल्लई कलां' का दौर 21 दिसंबर से शुरू हो गया। इस दौरान क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ती है और तापमान में भी गिरावट दर्ज की जाती है, जिससे यहां की प्रसिद्ध डल झील के साथ-साथ घाटी के कई हिस्सों में पानी की आपूर्ति लाइनों सहित जलाशय जम जाते हैं। इस दौरान अधिकतर इलाकों में बर्फबारी की संभावना भी सबसे अधिक रहती है, खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में, भारी हिमपात होता है। ‘चिल्लई कलां’ के 31 जनवरी को खत्म होने के बाद, 20 दिन का ‘चिल्लई-खुर्द’ और फिर 10 दिन का ‘चिल्लई बच्चा’ का दौर शुरू होता है।

इनपुट-भाषा

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