केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में किसान व्यावसायिक स्तर पर लैवेंडर की खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसकी बदौलत अब जिले को लैवेंडर की खेती में एक आदर्श के रूप में पहचाना जाएगा। सिंह ने डोडा जिले में लागू की जा रही विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) की प्रगति की समीक्षा के लिए जिला विकास समन्वय और निगरानी कमेटी (दिशा) की बैठक की अध्यक्षता की।
'रोल मॉडल के रूप में पहचान मिलेगी'
सिंह ने कहा कि चूंकि किसान ज्यादा मुनाफे की वजह से व्यावसायिक स्तर पर लैवेंडर की खेती कर रहे हैं, इसलिए डोडा जिले को लैवेंडर की खेती में रोल मॉडल के रूप में पहचान मिलेगी। अधिकारियों के मुताबिक, डोडा के दर्जनों पर्वतीय बस्तियों में 450 एकड़ से ज्याद जमान पर लगभग 400 किसान लैवेंडर की खेती कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान मक्का से लैवेंडर की ओर जाने के बाद उनकी इनकम चौगुनी हो गई।
'यह कंपनियां प्राथमिक खरीदार'
अधिकारियों के अनुसार लैवेंडर का पानी, जो लैवेंडर के तेल से अलग होता है, अगरबत्ती बनाने के लिए यूज किया जाता है। जबकि हाइड्रोसोल, जो फूलों से आसवन के बाद बनता है, साबुन और ‘रूम फ्रेशनर’ बनाने में यूज किया जाता है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए आईआईआईएम-जम्मू से मदद मिलती है और कई कंपनियां, जो मोमबत्तियों और सुगंधित तेलों जैसे प्रोडक्ट्स को बनाती हैं, उनकी प्राथमिक खरीदार हैं।
'अगले तीन सालों में खेती को बढ़ाकर 15 हेक्टेयर करना है'
अधिकारियों ने कहा कि उनका मिशन अगले तीन सालों के अंदर लैवेंडर की खेती को बढ़ाकर 1,500 हेक्टेयर करना है। इस बीच, सिंह ने प्रोजेक्ट्स को शुरू करते समय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच तालमेल सुनिश्चित करने पर जोर दिया और कहा कि बेहतर समन्वय योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की कुंजी है। उन्होंने कहा कि यह पीएम मोदी की कोशिश है कि केंद्र प्रायोजित सभी योजनाओं का लाभ सारे लाभार्थियों और आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होंने सभी हितधारकों से जमीनी लेवल पर बेहतर रिजल्ट्स के लिए निकट समन्वय में काम करने का आग्रह किया।