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Karnataka Hijab Row: हिजाब विवाद पर कर्नाटक सरकार को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार, अब इस तारीख को होगी सुनवाई

Karnataka Hijab Row: कर्नाटक के हिजाब विवाद से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने सुनवाई टालने की मांग पर याचिकाकर्ता को फटकार लगाई।

Edited By: Malaika Imam
Published : Aug 29, 2022 17:33 IST, Updated : Aug 29, 2022 17:47 IST
Karnataka Hijab Row
Image Source : PTI Karnataka Hijab Row

Highlights

  • हिजाब विवाद मामले में सुनवाई के लिए तारीख तय
  • सुनवाई टालने की मांग पर याचिकाकर्ता को फटकार
  • पीठ ने कहा- हम इस तरह की अनुमति नहीं देंगे

Karnataka Hijab Row: कर्नाटक के हिजाब विवाद से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने सुनवाई टालने की मांग पर याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि मामले में याचिकाकर्ताओं ने बार-बार जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था और अब जब इन याचिकाओं को सूचीबद्ध किया गया है, तो स्थगन का अनुरोध करते हुए एक पत्र वितरित किया गया है। 

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, "यह स्वीकार्य नहीं है। आपने पहले जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था और अब जब इसे सूचीबद्ध कर दिया गया है तो आप स्थगन का अनुरोध कर रहे हैं।" पीठ ने कहा, "हम इस तरह की अनुमति नहीं देंगे। कल दलीलों के लिए आइए। हम आपको कल सुनेंगे।" इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर दिया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।  

'क्या आप नोटिस जारी करने पर विचार कर सकते हैं?'

कर्नाटक की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में एक पत्र वितरित किया गया है। मेहता ने पीठ से कहा, "क्या मैं एक अनुरोध कर सकता हूं। वे याचिकाकर्ता हैं। इसलिए, वितरित पत्र के मद्देनजर आप उनके खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं करने पर संभवत: विचार कर सकते हैं। क्या आप नोटिस जारी करने पर विचार कर सकते हैं?" उन्होंने कहा कि यदि इन याचिकाओं पर नोटिस जारी किया जाता है, तो कम से कम एक चरण समाप्त हो जाएगा और मामले में अगली तारीख को दलीलें सुनी जा सकती हैं। 

राज्य को नोटिस, 05 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध 

पीठ ने याचिकाओं पर राज्य को नोटिस जारी किया और उन्हें 05 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ताओं में से एक ने कहा कि ये मामले शनिवार को अचानक वाद सूची में आ गए और कुछ अधिवक्ता हैं जिन्हें कर्नाटक से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आना है। इस पर पीठ ने कहा, "कर्नाटक केवल ढाई घंटे की उड़ान की दूरी पर है।" 

Supreme Court

Image Source : FILE PHOTO
Supreme Court

अगर जरुरत पड़ी तो मामले को गैर-विविध दिन पर लेगी पीठ

मेहता ने कहा कि इस मामले में कानून का सवाल शामिल है और कोई जवाब दाखिल करने की जरुरत नहीं है। जब पीठ ने मामले को 05 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया, तो वकीलों में से एक ने अनुरोध किया कि दो सप्ताह का समय दिया जाए। इस पर पीठ ने कहा, "सोमवार 05 सितंबर को आइए।" जब वकील ने कहा कि मामले को शीर्ष अदालत में सप्ताह के मध्य में गैर विविध दिन (मंगलवार, बुधवार, गुरुवार) पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है, तो पीठ ने कहा कि अगर जरुरत पड़ी तो वह मामले को गैर-विविध दिन पर लेगी। 

'मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए 6 बार अनुरोध किया गया'

एक वकील ने कहा, "क्या मैं आपसे इसे दो हफ्ते बाद करने का अनुरोध कर सकता हूं। इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।" पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता इससे पहले तो मामले में जल्द सुनवाई का अनुरोध कर रहे थे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उनके पास सूची है और इन मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए छह बार अनुरोध किया गया था। वकील ने कहा कि पहले सुनवाई का अनुरोध किया गया था, क्योंकि उन दिनों परीक्षा होने वाली थी और अब उन्हें संक्षिप्त तैयारी करनी है। इस पर मेहता ने पूछा, "तो, आप उन दिनों बिना तैयारी के बहस करते?" पीठ ने कहा, "हम इस तरह की इजाजत नहीं देंगे। 

24 याचिकाओं को SC के समक्ष सुनवाई को सूचीबद्ध किया गया

हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं सहित कुल 24 याचिकाओं को शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। कर्नाटक हाई कोर्ट के 15 मार्च के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें कहा गया है कि हिजाब पहनना आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने उडुपी के 'गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज' की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। 

हाई कोर्ट ने कहा था- स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है 

हाई कोर्ट ने कहा था कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं। एक याचिकाकर्ता ने कहा था कि हाई कोर्ट ने इस बात पर गौर नहीं किया कि हिजाब पहनने का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार के दायरे में आता है। हाई कोर्ट के इसी आदेश के आधार पर कर्नाटक सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाली पोशाक के पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे मुस्लिम लड़कियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 

राज्य सरकार के 05 फरवरी के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में दलील दी थी कि सिर पर दुपट्टा लेना या हिजाब पहनना आस्था का मामला है और एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है, न कि यह धार्मिक कट्टरता का प्रदर्शन है। 

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