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Karnataka Hijab Row: सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच जल्द करेगी मामले की सुनवाई

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा की दलीलों का संज्ञान लिया कि राज्य में 6 फरवरी से कुछ कक्षाओं के लिए निर्धारित प्रैक्टिकल परीक्षाओं के मद्देनजर एक अंतरिम आदेश पारित करने की आवश्यकता है।

Reported By : Gonika Arora Edited By : Khushbu Rawal Published : Jan 23, 2023 13:13 IST, Updated : Jan 23, 2023 13:13 IST
karnataka hijab row
Image Source : IANS कर्नाटक हिजाब विवाद

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनने से संबंधित मामले में फैसला लेने के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित करने पर विचार करेगा। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा की दलीलों का संज्ञान लिया कि राज्य में 6 फरवरी से कुछ कक्षाओं के लिए निर्धारित प्रैक्टिकल परीक्षाओं के मद्देनजर एक अंतरिम आदेश पारित करने की आवश्यकता है।

कुछ छात्राओं की तरफ से पेश अरोड़ा ने कहा, “यह हिजाब मामला है। छात्राओं की छह फरवरी 2023 से प्रैक्टिकल परीक्षाएं हैं और इस मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध किए जाने की जरूरत है, ताकि वे परीक्षा में शामिल हो सकें। प्रैक्टिकल परीक्षाएं सरकारी स्कूलों में होंगी।” इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “मैं इस पर विचार करूंगा। यह तीन न्यायाधीशों की पीठ का मामला है। हम एक तारीख तय करेंगे।”

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शीर्ष अदालत की दो सदस्यीय पीठ ने पिछले साल 13 अक्टूबर को हिजाब विवाद में खंडित फैसला सुनाया था। पीठ ने प्रधान न्यायाधीश से आग्रह किया था कि कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध से उपजे विवाद में फैसला लेने के लिए एक उपयुक्त पीठ का गठन किया जाए। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं) ने जहां स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध से जुड़े कर्नाटक उच्च न्यायालय के 15 मार्च 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था, वहीं न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा था कि राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में कहीं भी हिजाब पहनने पर कोई पाबंदी लागू नहीं होगी।

न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा था कि किसी समुदाय के सदस्यों को स्कूल-कॉलेज में अपने धार्मिक प्रतीक धारण करने की इजाजत देना ‘धर्मनिरपेक्षता के विपरीत’ होगा, जबकि न्यायमूर्ति धूलिया ने जोर देकर कहा था कि हिजाब पहनना या न पहनना केवल ‘पसंद का मामला’ होना चाहिए। शीर्ष अदालत के खंडित फैसले के कारण कर्नाटक उच्च न्यायालय का फैसला अभी भी प्रभावी है।

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