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Karnataka High Court का बड़ा आदेश, गिरफ्तार किए गए आरोपी को आमतौर पर हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती

आरोपी को हथकड़ी पहनाई गई थी और उसकी परेड कराई गई थी, साथ ही एक सार्वजनिक बस में पुलिस थाने ले जाया गया था।

Edited by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: June 29, 2022 18:34 IST
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Image Source : PIXABAY Representational Image.

Highlights

  • परीक्षा देकर अपने घर लौट रहे थे कानून की पढ़ाई करने वाले छात्र सुप्रीत ईश्वर दिवाते।
  • पुलिस ने बेलगावी जिले के चिक्कोडी तालुक के अंकली के बाजार में किया था गिरफ्तार।
  • दिवाते ने पुलिस की इस हरकत के लिए 25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी।

Karnataka High Court: कई बार देखा गया है कि पुलिस किसी घटना के आरोपी को हथकड़ी पहनाकर उसकी परेड निकालती है। हालांकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक ऐसा आदेश दिया है, जिसे पढ़कर पुलिस ऐसा करने से पहले एक बार जरूर सोचेगी। कर्नाटक हाई कोर्ट ने पुलिस द्वारा एक आरोपी को हथकड़ी लगाने और कथित तौर से सार्वजनिक रूप से उसकी परेड कराने के मामले का संज्ञान लेते हुए आरोपी व्यक्ति को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि गिरफ्तार किए गए किसी आरोपी व्यक्ति को आमतौर पर हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती।

पढ़ें: 498A जैसे वैवाहिक मामलों पर कोर्ट का बड़ा आदेश, कहा- कूलिंग पीरियड तक न हो गिरफ्तारी

‘पुलिस अफसरों को बॉडी कैम उपलब्ध कराएं’

हाई कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि गिरफ्तारी के तरीके को रिकॉर्ड किया जाए, कर्नाटक के DGP को निर्देश दिया कि वे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के हकदार सभी पुलिस अधिकारियों को बॉडी कैमरा उपलब्ध कराएं, ताकि ऐसे कैमरों द्वारा गिरफ्तारी का तरीका रिकॉर्ड किया जा सके। कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच के जस्टिस सूरज गोविंदराज ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त व्यक्तियों, विचाराधीन कैदियों और दोषियों को कब हथकड़ी लगाई जा सकती है, इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

‘जरूरी हालात में ही लगा सकते हैं हथकड़ी’
जस्टिस सूरज गोविंदराज ने अपने आदेश में कहा, ‘केवल बेहद जरूरी हालात में ही किसी आरोपी को हथकड़ी पहनाई जा सकती है। जब इस तरह की हथकड़ी लगाई जाती है, तो गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को हथकड़ी लगाने के कारणों को दर्ज करना होता है, जिसे कोर्ट की जांच को बनाए रखना होगा।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि निचली अदालत के समक्ष पेश किए जाने वाले किसी विचाराधीन कैदी को हथकड़ी लगाने के लिए पुलिस को निचली अदालत की अनुमति लेनी होगी।

‘...तो पुलिस के खिलाफ ही हो सकता है ऐक्शन’
कोर्ट ने कहा, ‘अगर इस तरह की अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया जाता है और विचाराधीन कैदियों को हथकड़ी लगाई जाती है, तो संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ ही ऐक्शन हो सकता है।’ दरअसल, परीक्षा देकर अपने घर लौट रहे कानून की पढ़ाई करने वाले छात्र सुप्रीत ईश्वर दिवाते को पुलिस ने बेलगावी जिले के चिक्कोडी तालुक के अंकली के बाजार में गिरफ्तार कर लिया था। उसे हथकड़ी पहनाई गई और उसकी परेड कराई गई तथा एक सार्वजनिक बस में चिक्कोडी पुलिस थाने ले जाया गया।

पुलिस का बनाया वीडियो ही बन गया सबूत
एक अन्य व्यक्ति के साथ विवाद में सुप्रीत ईश्वर दिवाते पर चेक बाउंस होने को लेकर Negotiable Instruments Act के तहत मामला दर्ज किया गया था। उसके खिलाफ 5 क्रिमिनल केस भी दर्ज किए गए थे और गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। इसी सिलसिले में उसे गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीत ईश्वर दिवाते ने पुलिस की इस हरकत के लिए 25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने उस कृत्य का वीडियो एविडेंस भी पेश किया जिसे पुलिस ने खुद रिकॉर्ड किया था। (भाषा)

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