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रॉबिन उथप्पा की गिरफ्तारी पर लगी रोक, कर्नाटक हाई कोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर को दी बड़ी राहत

हाई कोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा को मंगलवार को अंतरिम राहत देते हुए भविष्य निधि (पीएफ) धोखाधड़ी मामले में उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर अस्थायी रोक लगा दी।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Jan 02, 2025 9:10 IST, Updated : Jan 02, 2025 9:13 IST
पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा
Image Source : BCCI OFFICIAL WEBSITE पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा

बेंगलुरूः कर्नाटक हाई कोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाते हुए अंतरिम राहत दी है। उथप्पा द्वारा वारंट और संबंधित वसूली नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने के बाद अवकाश पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज ने आदेश जारी किया। 

बेंगलुरू पुलिस ने चार दिसंबर को क्षेत्रीय पीएफ आयुक्त के निर्देशों के आधार पर 21 दिसंबर को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसमें सेंटॉरस लाइफस्टाइल ब्रांड्स में निदेशक के रूप में उथप्पा की पूर्व भूमिका से जुड़े बकाया की वसूली की मांग की गई थी। 

क्या है पूरा मामला

आरोपों में कहा गया है कि कंपनी ने कर्मचारियों के वेतन से पीएफ अंशदान काट लिया, लेकिन उस अंशदान को जमा करने में वह विफल रही, जिसके परिणामस्वरूप 23.36 लाख रुपये का बकाया रह गया। उथप्पा ने 2018 से मई 2020 में अपने इस्तीफे तक कंपनी के निदेशक के रूप में कार्य किया। सुनवाई के दौरान उथप्पा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने दलील दी कि क्रिकेटर कंपनी के संस्थापक कृष्णदास थंडनंद हवड़े के साथ अपने समझौते के अनुसार, उनके मुवक्किल कंपनी के दिन-प्रतिदिन के कार्यों में शामिल नहीं थे। नवदगी ने जोर देकर कहा कि ईपीएफ अधिनियम के तहत उथप्पा को ‘‘नियोक्ता’’ के रूप में जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता है। 

उथप्पा की कानूनी टीम ने आगे स्पष्ट किया कि उन्होंने 2020 में आधिकारिक तौर पर अपने निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था और अधिकारियों को अपने प्रस्थान की सूचना दी थी। वकीलों ने इस बात पर जोर दिया कि उथप्पा ने उन्हें दिए गए ऋण का भुगतान न करने के लिए कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की थी।

उथप्पा का बयान

एक सार्वजनिक बयान में उथप्पा ने दोहराया कि कंपनी के साथ उनकी भागीदारी पूरी तरह से वित्तीय थी और इसके प्रबंधन या निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश ने न केवल गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी, बल्कि क्रिकेटर को अस्थायी राहत प्रदान करते हुए मामले से संबंधित आगे की कार्यवाही को भी निलंबित कर दिया। आने वाले हफ्तों में मामले की आगे की सुनवाई होने की उम्मीद है।

इनपुट- पीटीआई

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