Highlights
- कर्नाटक में रोजाना रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक का नाइट कर्फ्यू जारी रहेगा।
- रेस्तरां और अन्य स्थानों में 50 प्रतिशत क्षमता सहित अन्य सभी कोविड पाबंदियां जारी रहेंगी।
- कर्नाटक में संक्रमितों के अस्पतालों में भर्ती होने की दर करीब 5 प्रतिशत है।
बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को वीकेंड कर्फ्यू हटाने का फैसला किया, जिसे कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के मकसद से लगाया गया था। हालांकि, रोजाना रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक का नाइट कर्फ्यू जारी रहेगा। वहीं, रेस्तरां और अन्य स्थानों में 50 प्रतिशत क्षमता सहित अन्य सभी कोविड पाबंदियां जारी रहेंगी। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने राज्य में कोविड-19 की स्थिति और इसकी रोकथाम के लिए लगाई गयी पाबंदियों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों, अपनी सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ एक बैठक की।
‘शनिवार और रविवार को वीकेंड कर्फ्यू को हटाया जा रहा है’
राज्य के राजस्व मंत्री आर अशोक ने कहा, ‘शनिवार और रविवार के सप्ताहांत कर्फ्यू को हटाया जा रहा है। यह निर्णय विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है और यह शर्तों पर आधारित है। अब संक्रमितों के अस्पतालों में भर्ती होने की दर करीब 5 प्रतिशत है। अगर यह बढ़ती है तो हम सप्ताहांत कर्फ्यू फिर से लगाएंगे।’ दो घंटे की बैठक के बाद उन्होंने जनता से अपील की कि कोविड दिशानिर्देशों और एहतियाती उपायों का पालन करें। उन्होंने कहा, ‘सप्ताहांत कर्फ्यू हटाने के लिए लोगों, विभिन्न संगठनों और विभिन्न राजनीतिक नेताओं की ओर से मांग की जा रही थी, लेकिन हमने यह निर्णय विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर लिया है।’
‘50 प्रतिशत क्षमता का नियम अभी भी लागू रहेगा’
आर अशोक ने कहा, ‘हालांकि, प्रतिदिन रात 10 बजे से सुबह 5 बजे के बीच रात का कर्फ्यू जारी रहेगा। साथ ही 50 प्रतिशत क्षमता का नियम भी लागू रहेगा।’ मंत्री ने यह भी कहा कि विरोध प्रदर्शन, रैलियों, मेलों और कार्यक्रमों पर प्रतिबंध भी जारी रहेगा। रात के कर्फ्यू को जारी रखने के फैसले को सही ठहराते हुए, अशोक ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘जश्न करने जैसी रात की गतिविधियों को प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है। कोविड अभी भी आसपास है।’ मामलों में वृद्धि के साथ, सरकार ने पिछले सप्ताह मौजूदा कोविड पाबंदियों जैसे रात के कर्फ्यू और सप्ताहांत कर्फ्यू को जनवरी के अंत तक बढ़ाने का फैसला किया था।
‘बेंगलुरु में स्कूलों को खोलने का फैसला 29 जनवरी को’
वीकेंड कर्फ्यू को समाप्त करने के लिए सरकार पर नागरिकों, व्यवसायों, संगठनों और सत्ताधारी बीजेपी सहित विभिन्न राजनीतिक नेताओं का भारी दबाव था। बैठक का हिस्सा रहे प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने कहा कि चूंकि बेंगलुरु में संक्रमण दर अधिक है, इसलिए सरकार शहर में स्कूल और कॉलेज फिर से खोलने का फैसला 29 जनवरी को करेगी, जबकि अन्य जगहों पर वे इसे उसी तरह से जारी रखेंगे, जैसा वे अभी कर रहे हैं। बेंगलुरु को छोड़कर स्कूलों को बंद करने का निर्णय जिले के उपायुक्तों द्वारा सहायक आयुक्त, तहसीलदार, तालुक स्वास्थ्य अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी के परामर्श से, स्कूल को एक इकाई के रूप में ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा, न कि सामूहिक रूप से।
‘6-15 वर्ष के बच्चों में संक्रमण दर कम है’
किसी भी स्कूल में उच्च संक्रमण दर के मामले में, यह लगभग 7 दिनों के लिए और कम संक्रमण दर के मामले में तीन दिनों के लिए बंद रहेगा। अशोक ने कहा, ‘सौभाग्य से, चूंकि 6-15 वर्ष के बच्चों में संक्रमण दर कम है, हम स्कूलों का संचालन (बेंगलुरु के अलावा) वैसे ही जारी रखेंगे, जैसा अभी चल रहा है। चार से पांच जिलों में जिला विशिष्ट पाबंदियां थीं, उपायुक्त समीक्षा करेंगे और स्थानीय स्थिति के अनुसार स्कूलों को फिर से खोलने के लिए कदम उठाएंगे।’ यह देखते हुए कि राज्य में कोविड के मामलों में और वृद्धि होने की आशंका है, एक सवाल के जवाब में अशोक ने कहा, ‘हमने विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर सप्ताहांत कर्फ्यू वापस लेने का निर्णय लिया है, हालांकि मामलों की संख्या बढ़ रही है, अस्पताल में भर्ती होने की दर लगभग 5 प्रतिशत है, हमारे लिए अस्पताल में भर्ती होने की दर मानदंड है।’
‘20 जनवरी तक राज्य में 2,93,231 ऐक्टिव मरीज’
अशोक ने कहा, सरकार ने पूरे राज्य को एक इकाई मानकर पड़ोसी राज्यों में किए गए उपायों को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक रूप से निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि 20 जनवरी तक राज्य में कुल 2,93,231 उपचाराधीन मरीज थे, जिनमें से 2,86,000 घर पर पृथकवास में हैं। कुल 5,344 व्यक्ति अस्पताल में हैं, जिनमें से 340 आईसीयू में हैं और 127 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। अशोक ने कहा कि समग्र संक्रमण दर 19.94 प्रतिशत है, बच्चों में संक्रमण दर लगभग 8 प्रतिशत और वयस्कों में 16.57 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अस्पताल में भर्ती बच्चों पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया है।