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SDPI के विरोध के आगे झुकी कर्नाटक सरकार! ‘हिजाब’ मुद्दे से जुड़े प्रिंसिपल को नहीं मिलेगा अवॉर्ड

कर्नाटक में शिक्षा विभाग ने उडुपी जिले के कुन्दपुरा PU कॉलेज के प्रिंसिपल बी. जी. रामकृष्णा को ‘बेस्ट प्रिंसिपल’ अवॉर्ड देने का फैसला किया था हालांकि SDPI के विरोध के बाद उन्हें अब यह सम्मान नहीं दिया जा रहा है।

Reported By : T Raghavan Edited By : Vineet Kumar Singh Updated on: September 05, 2024 12:51 IST
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Image Source : INDIA TV कुन्दपुरा PU कॉलेज के प्रिंसिपल बी. जी. रामकृष्णा ने हिजाब पहनी लड़कियों को कॉलेज में प्रवेश नहीं करने दिया था।

बेंगलुरु: कर्नाटक की सरकार ने कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी SDPI के विरोध के बाद हिजाब पर ‘बैन’ लगाने वाले प्रिंसिपल को सम्मानित करने का फैसला वापस ले लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक के शिक्षा विभाग ने उडुपी जिले के कुन्दपुरा PU कॉलेज के प्रिंसिपल बी. जी. रामकृष्णा को ‘बेस्ट प्रिंसिपल’ अवॉर्ड के लिए चुना था लेकिन अब उन्हें यह सम्मान नहीं दिया जा रहा है। बता दें कि कर्नाटक में शिक्षक दिवस पर शिक्षा विभाग की ओर से हर साल सबसे अच्छे प्रिंसिपल का सम्मान दिया जाता है।

प्रतिबंधित संगठन PFI की सियासी शाखा है SDPI

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल ‘बेस्ट प्रिंसिपल’ अवॉर्ड के लिए 2 अध्यापकों को चुना गया था जिनमें उडुपी के कुन्दपुरा में मौजूद PU कॉलेज के प्रिंसिपल बी. जी. रामकृष्णा और मैसूरु जिले के हुनसुरु में मौजूद PU कॉलेज के प्रिंसिपल ए. रामेगौडा शामिल थे। जैसे ही ये सूचना बाहर आई कि रामकृष्णा को ‘बेस्ट प्रिंसिपल’ का अवॉर्ड दिया जा रहा है, कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी SDPI ने इसका विरोध शुरू कर दिया। बता दें कि SDPI प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन PFI की राजनीतिक शाखा है।

‘हिजाब बैन’ को लेकर हुआ था जबरदस्त बवाल

बी. जी. रामकृष्णा ने पीयू कॉलेज के नियमों का पालन करते हुए फरवरी 2022 में हिजाब पहनकर आई छात्राओं को क्लास में दाखिल नहीं होने दिया था। उनके इस फैसले के बाद पूरे राज्य में ‘हिजाब बैन’ को लेकर जबरदस्त बवाल खड़ा हुआ था। बी. जी. रामकृष्णा ने बताया कि उन्हें बुधवार को शिक्षा विभाग की ओर से सूचना दी गई कि तकनीकी कारणों के चलते फिलहाल उन्हें ये अवॉर्ड नहीं दिया जाएगा। उन्होंंने कहा कि उनसे बताया गया है कि हालांकि उनके अवॉर्ड को रद्द नहीं किया गया है।

विवाद से बचने के लिए नहीं दिया अवॉर्ड!

रामकृष्णा को यह सम्मान देने की खबर सामने आते ही प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन PFI की राजनीतिक इकाई SDPI ने सबसे पहले इसका विरोध किया। SDPI के विरोध के बाद कई कट्टरपंथी ताकतें और अन्य लोग ऐक्टिव हो गए जिसके बाद सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग की आलोचना करते हुए कई सारे पोस्ट डाले गए। शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक, किसी भी विवाद से बचने के लिए फिलहाल रामकृष्णा को अवॉर्ड नहीं दिये जाने का फैसला किया गया है।

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