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बेंगलुरु: इन्फोसिस के अधिकारी के साथ हुई साइबर ठगी, ऐंठ लिए गए 3.7 करोड़ रुपए

इस मामले को लेकर बेंगलुरु पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि फोन करने वाले खुद को TRAI का अधिकारी बताया और पीड़ित से कहा कि उसके नाम पर खरीदी गई सिम से अवैध काम किए जा रहे हैं।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Nov 29, 2023 16:22 IST, Updated : Nov 29, 2023 16:22 IST
बेंगलुरु: इन्फोसिस के अधिकारी के साथ हुई साइबर ठगी
Image Source : FILE बेंगलुरु: इन्फोसिस के अधिकारी के साथ हुई साइबर ठगी

बेंगलुरु: देश में बढती तकनीकी के साथ-साथ साइबर अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। हर रोज लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। सरकार साइबर अपराधो को रोकने के तमाम दावे करती है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। हर करोड़ों रुपए साइबर अपराधी उड़ा रहे हैं, लेकिन इन्हें रोकने का कोई जरिया नजर नहीं आ रहा है। अब एक ऐसा ही मामला कर्नाटक के बेंगलुरु से सामने आ रहा है। यहां ठगों ने आईटी कंपनी इन्फोसिस के एक बड़े अधिकारी को ठगी का शिकार बनाया है।

जानकारी के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति को 21 नवंबर को एक कॉल आता है। कॉल करने वाले साइबर अपराधियों ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और मुंबई पुलिस के अधिकारी बताते हैं। फोन करने वाले उसे बताते हैं कि उनके खिलाफ मुंबई के वकोला पुलिस स्टेशन में एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है और उनके आधार कार्ड विवरण के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद वह साइबर अपराधी पीड़ित से दो दिनों में 3.7 करोड़ रुपए ऐंठ लेते हैं।

इस मामले की जांच CID को सौंपी गई 

इसके बाद पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस को की। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, साइबर अपराध पुलिस ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और आईपीसी धारा 419 और 420 के तहत मामला दर्ज किया है। इस मामले को लेकर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने  बताया कि चूंकि खोई हुई धनराशि 3 करोड़ रुपये से अधिक है, इसलिए मामला दर्ज करके आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि बदमाशों के खाते फ्रीज करने के लिए बैंक अधिकारियों से संपर्क किया गया है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि फोन करने वाले ने दावा किया कि वह एक ट्राई अधिकारी है और शिकायतकर्ता के नाम पर पंजीकृत एक सिम कार्ड का इस्तेमाल अवैध विज्ञापन पोस्ट करने के लिए किया जा रहा है। जब शिकायतकर्ता ने धोखेबाज को बताया कि वह फ़ोन नंबर उसका नहीं है, तो उसे बताया गया कि यह उसके आधार कार्ड क्रेडेंशियल्स का उपयोग करके ख़रीदा गया था।

नकली पुलिस वाले बनकर की वीडियो कॉल 

इसके बाद कॉल को एक ऐसे व्यक्ति को ट्रांसफर कर दिया गया, जिसने खुद को मुंबई पुलिस का एक वरिष्ठ अधिकारी बताया और अधिकारी से कहा कि उसे जांच के सिलसिले में मुंबई और दिल्ली में उनसे और सीबीआई से मिलना होगा। ऐसा न करने पर वे उसे गिरफ्तार करने की धमकी देते रहे। इसके बाद एक वीडियो कॉल हुई जिसमें एक पुलिस स्टेशन दिख रहा था और वहा कुछ वर्दी पहने हुए लोग भी थे। इसके साथ ही उन लोगों ने उसे अपने आईडी कार्ड और उनके खिलाफ दायर शिकायत की कॉपी भी दिखाई। 

इसके बाद शिकायतकर्ता को कई बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा गया ताकि वह गिरफ्तारी से बच सके और अपने खिलाफ दर्ज सभी मामले बंद करा सके। उन्होंने यहां तक ​​कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनके बैंक खाते के ऑडिट के बाद पैसे उन्हें वापस कर दिए जाएंगे। 21 से 23 नवंबर के बीच, घबराए हुए कार्यकारी ने अलग-अलग बैंक खातों में 3.7 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। तब जाकर उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है और उसने 25 नवंबर को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

 

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