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करगिल युद्ध का 'ऑपरेशन सफेद सागर', एयर चीफ मार्शल ने बताया 25 साल पहले का पूरा घटनाक्रम

करगिल युद्ध के 25 साल हो गए। जुलाई 1999 में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़ी गई इस लड़ाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। इसी लड़ाई में भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर भी चलाया था।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Updated on: July 14, 2024 18:13 IST
कारगिल वार में चलाया गया था ऑपरेशन सफेद सागर- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO कारगिल वार में चलाया गया था ऑपरेशन सफेद सागर

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) ने 25 साल पहले हुए करगिल युद्ध में अपनी भूमिका को रविवार को याद किया। इसने दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में थलसेना (Indian Army) के प्रयासों को मजबूत करने के लिए हजारों लड़ाकू मिशन और हेलीकॉप्टर उड़ानों को अंजाम दिया था। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वायुसेना देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों के सम्मान में 12-26 जुलाई तक वायुसेना स्टेशन सरसावा में 'करगिल विजय दिवस रजत जयंती' मना रही है।

करगिल युद्ध में पाकिस्तान को चटाई गई थी धूल 

भारत ने 1999 में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़ी गई इस लड़ाई में पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने राष्ट्र की सेवा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले सभी वायु योद्धाओं को श्रद्धांजलि के रूप में शनिवार को वायुसेना स्टेशन स्थित युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया और उनसे बातचीत की। 

वायु योद्धाओं के साहस और बलिदान की गौरवपूर्ण विरासत 

एअर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना के पास अपने वीर वायु योद्धाओं के साहस और बलिदान की गौरवपूर्ण विरासत है, जिन्होंने 1999 के करगिल युद्ध में वीरता से लड़ाई लड़ी थी। वास्तव में यह सैन्य विमानन के इतिहास में एक मील का पत्थर था। 

करगिल युद्ध में 'ऑपरेशन सफेद सागर'

उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध में 'ऑपरेशन सफेद सागर' चलाया गया था। ये ऑपरेशन 16 हजार फुट से अधिक की खड़ी ढलान और चक्करदार ऊंचाइयों की चुनौतियों का सामना करने की भारतीय वायुसेना की सैन्य क्षमता का प्रमाण है। कुल मिलाकर वायुसेना ने लगभग पांच हजार लड़ाकू मिशन, 350 टोही/ईएलआईएनटी मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं। भारतीय वायुसेना ने घायलों को सुरक्षित निकालने और हवाई परिवहन कार्यों के लिए दो हजार से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भी भरीं। 

किस तरह चलाया गया ये ऑपरेशन?

एयर चीफ मार्शल ने कहा कि वायुसेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकॉप्टर यूनिट, 'द माइटी आर्मर' ने ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 28 मई 1999 को 152 एचयू के स्क्वाड्रन लीडर आर पुंडीर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मुहिलान, सार्जेंट पीवीएनआर प्रसाद और सार्जेंट आरके साहू को तोलोलिंग में दुश्मन के ठिकानों पर सीधा हमला करने के लिए 'नुबरा' फॉर्मेशन के रूप में उड़ान भरने की जिम्मेदारी दी गई थी। 

चार जवान हो गए थे शहीद 

इस हवाई हमले को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद उनके हेलीकॉप्टर को दुश्मन की स्टिंगर मिसाइल ने निशाना बनाया जिसमें चार वीर सैनिकों ने प्राणों का बलिदान दिया और असाधारण साहस के इस कार्य के लिए उन्हें मरणोपरांत वायुसेना पवीरता) से सम्मानित किया गया था। 

भाषा के इनपुट के साथ

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