कांवड़ यात्रा के मार्गों पर पड़ने वाली दुकानों व खाने के ठेलों पर मालिकों के नाम और मोबाइल नंबर (नेम प्लेट) लिखे जाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने यूपी और उत्तराखंड सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने यूपी और उत्तराखंड सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
हाशिए पर पड़े वर्ग को बनाया जा रहा निशाना
सुप्रीम कोर्ट में महुआ मोइत्रा की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि तीर्थ यात्रियों के खान-पान संबंधी प्राथमिकताओं का सम्मान करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लक्ष्य के साथ जारी किया गया आदेश पूरी तरीके से मनमाना है। सरकार का ये आदेश संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर पड़े वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है।
प्रोफेसर अपूर्वानंद और आकार पटेल ने भी दायर की याचिका
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के साथ ही प्रोफेसर अपूर्वानंद और लेखक आकार पटेल ने यूपी और उत्तराखंड सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। हाल ही में दोनों ही राज्यों के सरकार ने कांवड़ मार्ग पर खाने की सामग्री बेचने वाले सभी दुकानदारों के मालिकों और संचालकों के नाम लिखे (नेम प्लेट) जाने निर्देश दिया है।
इस आदेश से मुस्लिमों की रोजी रोटी पर पड़ेगा प्रभाव
अपूर्वानंद और आकार पटेल की याचिका में कहा गया है की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य द्वारा जारी आदेश अनुच्छेद 14, 15 और 17 के तहत अधिकारों को प्रभावित करता है। यह मुस्लिम लोगों के अधिकारों को भी प्रभावित करता है, जो अनुच्छेद 19 (1)(जी) का उल्लंघन है। इस आदेश से उनके रोजी रोटी पर प्रभाव पड़ेगा।
इसके साथ ही याचिका में ये भी कहा गया है कि यह आदेश 'अस्पृश्यता' की प्रथा का समर्थन करता है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत स्पष्ट रूप से किसी भी रूप में वर्जित है।