कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के डिप्टी सीएम ने अजब तुगलकी फरमान जारी किया है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने राज्य में सभी के लिए निर्देश दिया है कि 1 नवंबर को वह अपने-अपने इमारतों में कन्नड़ ध्वज फहराएं। जानकारी दे दें कि 1 नवंबर को कर्नाटक का राज्य दिवस है। इसी कारण राज्य की डिप्टी सीएम ने यह निर्देश जारी किया है। साथ ही उन्होंने सभी कंपनियों, शिक्षण संस्थानों को भी यह आदेश दिया है। उन्होंने मीडिया के सामने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी।
सभी कंपनियों व शिक्षण संस्थानों के लिए जारी हुआ आदेश
डीके शिवकुमार ने कहा, "1 नवंबर कर्नाटक के लिए महत्वपूर्ण है, इस दिन हमारा राज्य दिवस है जिसे हम खुशी के साथ मनाते हैं। बेंगलुरु विकास मंत्री के तौर पर मैंने निर्देश दिए हैं कि उस दिन सभी कंपनियों और शिक्षण संस्थानों में कर्नाटक का राज्य ध्वज फहराया जाएगा। बेंगलुरु में 50 फीसदी लोग राज्य के बाहर से हैं, हमारे लिए इस तरह से राज्य दिवस का आचरण अहम है। हमारे कन्नड़ भाषा का सम्मान किया जाना चाहिए। 1 नवंबर को इमारतों पर कर्नाटक ध्वज अनिवार्य रूप से फहराया जाना चाहिए।"
दी कट्टर समर्थकों को सख्त चेतावनी
साथ ही कन्नड़ कट्टर समर्थकों को सख्त चेतावनी भी दी कि वे इस दिन कानून हाथ में न लें। उन्होंने कहा,"मैं कन्नड़ समर्थक संगठनों को चेतावनी दे रहा हूं कि वे उस दिन कानून को अपने हाथ में न लें। लेकिन यह अनिवार्य है कि सभी संस्थान और कंपनियां उस दिन कन्नड़ ध्वज फहराएं।"
इससे पहले कन्नड़ भाषा के लिए पास किया था बिल
बता दें कि इस साल फरवरी में कर्नाटक विधानसभा ने एक बिल पास किया था, जिसके तहत राज्य भर में व्यवसायों और प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड में 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया था। सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कहा था कि इसका पालन न करने पर लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे। कन्नड़ भाषा व्यापक विकास (संशोधन) विधेयक, 2024, जिसमें 2022 अधिनियम में संशोधन होना है, को चालू बजट सत्र के दौरान सदन में पेश किया गया।
राज्यपाल ने भेज दिया था वापस
हालाँकि, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने राज्य मंत्रिमंडल को वह अध्यादेश वापस भेज दिया जिसमें कॉमर्शियल साइनबोर्डों में कन्नड़ भाषा के प्रयोग को बढ़ाने का प्रस्ताव था। अध्यादेश वापस भेजते हुए राज्यपाल ने राज्य सरकार को इसे विधानसभा के माध्यम से पारित करने की सलाह दी, जिस पर सरकार की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई और उनके हस्तक्षेप को अनावश्यक बताया गया। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था, "सरकार ने साइनबोर्ड पर कन्नड़ की मौजूदगी को बढ़ाने के लिए एक कानून बनाया है। हालांकि, राज्यपाल के निर्देश के अनुसार इसे विधानसभा से पारित किया जाना अनिवार्य है। वह बस इसका समर्थन कर सकते थे।"
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