हरियाणा के पानीपत में आयोजित 263वें शौर्य दिवस पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि कैसे उनके पूर्वज सोमनाथ मंदिर का दरवाज़ा लाहौर से लेकर आए और उन्हीं के पूर्वजों ने ही काशीविश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भी कराया था। सिंधिया ने बताया कि कैसे उस वक्त के दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त कर दिया था, जब उस मंदिर के द्वार लाहौर ले गए, तब वो उनके पूर्वज ही थे जिन्होंने लाहौर में मराठाओं का झंडा गाड़ा और सोमनाथ मंदिर के द्वार वापस लेकर आए।
"मराठाओं ने ही कराया काशीविश्वनाथ का पुनर्निर्माण"
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे कहा कि उनकी वसंज महारानी बैजाबाई, अहिल्याबाई होल्कर... मराठाओं ने दोबारा काशीविश्वनाथ को स्थापित करने का काम किया था। भारत की संस्कृति को उजागर करने का काम भी मराठा साम्राज्य ने किया। सिंधिया ने कहा कि आज मुझे गर्व है कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने एक भारत-श्रेष्ठ भारत, वसुधैव कुटुम्बकम्, विविधता में एकता की सोच और विचारधारा के साथ, भारत को केवल एक आर्थिक शक्ति नहीं बल्कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति को भी विश्व पटल पर उजागर किया है।
भारत की आध्यात्मिक शक्ति पर बोले सिंधिया
वहीं कुछ दिन पहले केंद्रीय नागर विमानन व उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि जहां भारत विश्व स्तर पर एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रयास दुनिया को भारत की आध्यात्मिक शक्ति से अवगत कराना भी है। सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री ने अयोध्या में रेलवे के साथ-साथ हवाई अड्डे की भी सुविधा दी है। उन्होंने कहा, ‘‘जहां भारत विश्व स्तर पर एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रयास दुनिया को भारत की आध्यात्मिक शक्ति से अवगत कराना भी है।’’
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