Highlights
- कमेटी ने सोशल मीडिया के लिए रेगुलेटर बनाने की सिफारिश की है
- समिति ने प्रस्तावित डाटा प्रोटेक्शन बिल के दायरे को व्यापक बनाने का भी प्रस्ताव दिया
- इसमें व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत दोनों तरह के डेटा को शामिल करने का भी सुझाव दिया गया है
नई दिल्लीः डाटा प्रोटेक्शन पर ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट गुरुवार को राज्यसभा में पेश की गई। कमेटी ने सोशल मीडिया के लिए रेगुलेटर बनाने की सिफारिश की है कमेटी ने सोशल मीडिया मंचों को प्रकाशक मानते हुए उन्हें और अधिक जवाबदेह बनाने की सिफारिश की है। समिति ने प्रस्तावित डाटा प्रोटेक्शन बिल के दायरे को व्यापक बनाने का भी प्रस्ताव किया। इसमें व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत दोनों तरह के डेटा को शामिल करने का भी सुझाव है।
समिति के मुताबिक जब तक कंपनियां भारत में अपना ऑफिस स्थापित न कर लें, तब तक उन्हें भारत में काम नहीं करने दिया जाना चाहिए। संयुक्त संसदीय समिति ने जो संसद में सौंपी है उसमें सोशल मीडिया के लिए रेगुलेटर बनाने की सिफारिश की गई है। इसी के साथ ये भी कहा गया है कि कंपनियां उपभोक्ताओं का अकाउंट अनिवार्य रूप से वेरीफाई करें।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि कंपनियां अगर यूजर को वेरिफाई नहीं करती हैं तो कंपनियों को ही पब्लिशर माना जाए। इसके अलावा उनकी जवाबदेही तय की जाए।
रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशों में डाटा प्रोटेक्शन बिल का दायरा बढ़ाकर उसमें गैर निजी डेटा को भी शामिल करने, सोशल मीडिया मंचों के नियम और सख्त करने, एक वैधानिक मीडिया नियामक प्राधिकरण का प्रस्ताव शामिल हैं।
गौरतलब है कि डाटा प्रोटेक्शन बिल को पहली बार 2019 में संसद में लाया गया था और उस समय इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास जांच के लिए भेजा गया था। यह विधेयक एक ऐतिहासिक कानून है, जिसका उद्देश्य यह विनियमित करना है कि विभिन्न कंपनियां और संगठन भारत के अंदर व्यक्तियों के डेटा का इस्तेमाल कैसे करते हैं।