Highlights
- शहीद जितेंद्र वर्मा को विदाई देने के लिए हजारों की संख्या में लोग उनके गांव पहुंचे
- नायक जितेंद्र कुमार (32) का पैतृक गांव धामंदा है
- 10 साल पहले बनी थी यह सड़क
भोपाल: तमिलनाडु के कुन्नूर के समीप आठ दिसंबर को सेना के एमआई17वी5 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत, नायक जितेंद्र कुमार और 10 अन्य सैन्य कर्मियों की मौत हो गई थी। कुमार रावत के निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) में से एक थे।
शहीद जितेंद्र वर्मा को विदाई देने के लिए हजारों की संख्या में लोग उनके गांव पहुंचे। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के नायक जितेंद्र कुमार (32) के पैतृक गांव धामंदा की ओर जाने वाली सड़क के एक हिस्से की पत्थरों और मिट्टी से जल्दबाजी में मरम्मत की गई, क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई गणमान्य लोग रविवार को उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले थे।
अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर रविवार को बताया कि जब कुमार पिछले महीने नौ नवंबर को धामंदा से अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए अंतिम बार गये थे तो करीब 10 साल पहले बनी यह सड़क लगभग पूरी तरह खराब थी। धामंदा राजधानी भोपाल से करीब 65 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि सीहोर संयोग से मुख्यमंत्री चौहान का गृह जिला है और धामंदा के कम से कम 25 लोग सेना में हैं। ग्रामीणों ने बताया कि भोपाल-इंदौर राजमार्ग से इस गांव के लिए जाने वाली ढाई किलोमीटर सड़क की मशीनें और मजदूरों को लगाकर दिन-रात मरम्मत की गई।
इस सड़क को पत्थर और मिट्टी डालकर समतल किया गया ताकि इस सड़क को फिलहाल वाहनों के आने-जाने लायक बनाया जा सके। धामंदा के पूर्व सरपंच लक्ष्मीचंद ने भी ‘पीटीआई-भाषा’ से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मैंने करीब सात महीने पहले इस सड़क की मरम्मत के लिए जिलाधिकारी को आवेदन दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि यह सड़क जल्द ठीक कर ली जाएगी और हम इस पर वाहन चला सकेंगे। यह सड़क करीब 10 साल पहले बनाई गई थी, लेकिन दो साल पहले यह बुरी तरह से खराब हो गई थी और लोग दुर्घटनाओं के डर से रात को इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे थे।” शहीद कुमार का रविवार को उनके पैतृक गांव धामंदा के श्मशानघाट में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।