Friday, November 15, 2024
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फर्जी सर्टिफिकेट पर टीचर ने की 36 साल नौकरी, रिटायर भी हो गया, अब जुर्माने में देगा 'जिंदगी भर की कमाई'

जांच में पता चला कि टीचर ने वर्ष 1968 का मैट्रिक का जो सर्टिफिकेट प्रमाणपत्रों के साथ जमा किया है, अभिलेख में उनके नाम की जगह पर दूसरे का नाम है। इससे लगता है कि शुकदेव मंडल ने फर्जी कागजात के आधार पर नौकरी हासिल की।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: May 01, 2023 14:01 IST
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Image Source : FILE PHOTO फर्जी सर्टिफिकेट पर टीचर ने 36 साल नौकरी की (प्रतिकात्मक तस्वीर)

रांची: झारखंड की उपराजधानी दुमका के सरैयाहाट प्रखंड में एक टीचर फर्जी सर्टिफिकेट पर 36 साल तक नौकरी करता रहा। शिक्षा विभाग को इस फजीर्वाड़े का पता तब चला जब टीचर रिटायर हो गया। अब उस टीचर को सजा सुनाई गई है। फर्जी सर्टिफिकेट पर 36 साल तक नौकरी करने वाले टीचर शुकदेव मंडल को दुमका के प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी ने 6 साल की जेल और 50 लाख का जुर्माना लगाया है। 12 साल तक चले मुकदमे में कोर्ट ने उन्हें दोषी पाकर सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि सरकारी कोष में नहीं जमा करने पर अभियुक्त को 6 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

ऐसे हुआ मामले का खुलासा

वर्ष 2011 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक को जांच के क्रम में पता चला कि सरैयाहाट प्रखंड के कानीजोर प्राथमिक विद्यालय के रिटायर्ड टीचर शुकदेव मंडल ने फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे नौकरी हासिल की है। यही नहीं रिटायर होने के बाद सरकारी प्रावधान के अनुसार उन्होंने राशि भी ले ली। जांच में पता चला कि टीचर ने वर्ष 1968 का मैट्रिक का जो सर्टिफिकेट प्रमाणपत्रों के साथ जमा किया है, अभिलेख में उनके नाम की जगह पर दूसरे का नाम है। इससे लगता है कि शुकदेव मंडल ने फर्जी कागजात के आधार पर नौकरी हासिल की।

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इसके बाद तत्कालीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अमरनाथ साहू को तत्काल मामले में FIR दर्ज करने का निर्देश दिया गया। इस मामले में टीचर को नोटिस देकर कहा गया कि रिटायरमेंट के बाद उन्होंने जो सरकारी राशि प्राप्त की है उसे एक महीने के अंदर देवघर कोषागार में जमा कर दें। लेकिन इस मामले में टीचर की ओर से किसी तरह का जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद 18 अगस्त 2011 को सरैयाहाट थाने में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी सेवा करने और रिटायरमेंट के बाद प्राप्त सरकारी राशि वापस न करने का मामला दर्ज कराया गया। इस केस में बचाव पक्ष के अधिवक्ता अनिल कुमार झा ने केस की पैरवी की।

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