Highlights
- कामयाबी की इस झूठी सूचना के आधार पर एक दर्जन से ज्यादा जगह पर सम्मानित हुआ
- झारखंड सरकार ने रखा था अभिनंदन समारोह
- राजकीय समारोह में शामिल हुआ, तो पता चली जानकारी
Jharkhand News: आईएएस की एग्जाम पास करना बहुत मुश्किल होता है। इसके लिए प्रतिभागी को बेहद कड़ी और लगातार मशक्कत करना पड़ती हैै। लेकिन यदि आईएएस कोई और हो और सम्मान उसके नाम से किसी और को मिल जाए, वो भी राज्य के चीफ मिनिस्टर के हाथों तो इसे आप क्या कहेंगे। ऐसा ही हुआ है झारखंड में। यहां ऐसा ही एक मामला सामने आया है। दरअसल, झारखंड के पलामू निवासी एक युवक ने यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में सफल होने की फर्जी खबर पूरे राज्य में फैला दी। कामयाबी की इस झूठी सूचना के आधार पर वह एक दर्जन से ज्यादा जगह पर सम्मानित हुआ।
झारखंड सरकार ने रखा था अभिनंदन समारोह
बीते बुधवार को उसने झारखंड सरकार की ओर से आयोजित यूपीएससी के सफल अभ्यर्थियों के अभिनंदन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों सम्मान हासिल किया और उनके साथ रात्रि भोज में भी शामिल हुआ। अब खुलासा हुआ है कि कुमार सौरभ उर्फ सौरभ पांडेय नामक इस युवक ने यूपी के एक सफल अभ्यर्थी के हमनाम होने का गलत फायदा उठाते हुए पिछले दो महीने से सोसायटी से लेकर सरकार तक भ्रमजाल फैला रखा था।
राजकीय समारोह में शामिल हुआ, तो पता चली जानकारी
यूपीएससी 2021 की परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की सूची में 357वां रैंक यूपी के कुमार सौरभ ने हासिल किया है। उन्हें कहीं से जानकारी मिली कि उनके नाम पर एक युवक झारखंड में राजकीय समारोह में सम्मानित हुआ है। तब इस मामले का सच सामने आया।
खुद के सफल होने की झूठी खबर फैलाई, खिंचवा सूट टाई वाली फोटो
दरअसल पलामू के पांडू प्रखंड का रहनेवाले सौरभ पांडेय भी यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। गत 30 मई को रिजल्ट आया तो उसने खुद के सफल होने की खबर फैला दी। उसने यूपीएससी मुख्यालय के पास सूट टाई वाली अपनी फोटो भी कई जगहों पर शेयर कर दी थी।
रैंक ठीक नहीं आने की बात कहकर फिर तैयारी में जुटने का भ्रम फैलाया
दरअसल सौरभ पांडेय पिछले कुछ दिनों से समाज में कई लोगों से यह कहता फिर रहा था कि उसका रैंक ठीक नहीं आया। इस कारण इस बार नौकरी ज्वाइन नहीं करेगा। वह फिर से तैयारी में जुटा है और पूरा प्रयास कर रहा है कि अगली बार अच्छा रैंक ले आये।जब मीडिया कर्मियों ने सौरभ से उसके यूपीएससी पास करने और उसके एडमिट कार्ड के बारे में जानकारी मांगी तो उसने स्वीकार कर लिया कि परीक्षा में असफल हो जाने पर उसने सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए अपने पास हो जाने की झूठी खबर फैलायी थी। झारखंड सरकार ने भी मीडिया में छपी रिपोर्ट के आधार पर उसे सम्मानित कर दिया था।