Highlights
- यह घोषणा सीएम सोरेन ने 73वें वन महोत्सव- 2022 में की
- "जब तक परिवारों के घरों में पेड़ रहेंगे उन्हें यह लाभ मिलता रहेगा"
- "पेड़ कोई गेंदा या गुलाब का नहीं, बल्कि कोई फलदार या दूसरा होना चाहिए"
Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने शुक्रवार को कहा कि पर्यावरण को स्वस्थ रखने के लिए एक अगल ही ऑफर निकाला। उन्होंने कहा कि सरकार शहरी इलाकों में उन परिवारों को प्रति पेड़ पांच यूनिट बिजली मुफ्त देगी जो अपने घर में पेड़ लगाएंगे। यह घोषणा सीएम सोरेन ने 73वें वन महोत्सव- 2022 में बतौर चीफ गेस्ट अपने संबोधन में की। उन्होंने कहा कि जब तक ऐसे निवासियों के घरों में पेड़ रहेंगे उन्हें यह लाभ मिलता रहेगा।
सीएम ने यह भी बताया कि ध्यान रहे यह पेड़ कोई गेंदा या गुलाब का पौधा नहीं, बल्कि कोई फलदार या दूसरा पेड़ होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करते हुए जिस प्रकार हम विकास की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं उससे हम विनाश को भी न्योता दे रहे हैं। अगर समय रहते सामंजस्य नहीं बैठाया गया तो मनुष्य जीवन को ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।’’
पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती
उन्होंने कहा कि वन महोत्सव कोई एक दिन का कार्यक्रम नहीं बल्कि हर दिन वन महोत्सव होना चाहिए क्योंकि जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया में एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन से हमें सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि प्राकृतिक असंतुलन के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है और मनुष्य को ही इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि इस राज्य का नाम जंगलों पर आधारित है और झारखंड में सबसे अधिक आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। इनका जीवन जंगल, नदी, पहाड़-पर्वत के इर्द-गिर्द ही कटता है। उन्होंने कहा कि कई मायनों में हमारा राज्य प्राकृतिक रूप से काफी धनी है।
"जंगल के इलाकों में आरा मशीन प्लांट नहीं लगेगा"
सीएम सोरेन ने कहा कि झारखंड के जंगलों में पेड़ों को कटने से बचाने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि वन आधारित इलाकों में अब आरा मशीन प्लांट नहीं लगेगा। उन इलाकों में जो भी आरा मशीनें पहले से मौजूद हैं उन्हें भी हटाने का निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगलों के महत्व को समझने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी समेत कई प्राकृतिक आपदाएं अच्छा संकेत नहीं दे रही हैं। यदि समय रहते हम जल, जंगल और जमीन को नहीं सहेज सके तो यह दुःखद होगा।