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Japanese Encephalitis: जापानी बुखार से हर साल होती हैं भारत में मौतें, लेकिन क्या आपको इसके नाम का इतिहास पता है?

Japanese Encephalitis:जापानी बुखार, जिसे जापानी इन्सेफेलाइटिस भी कहते हैं, का पहली बार पता साल 1871 में जापान में चला था। यह मच्छरों के जरिए फैलता है, इसलिए बरसात आते ही इसका असर दिखने लगता है। इसके मामले जून की शुरूआत से ही दिखने लगते हैं।

Written By: Sushmit Sinha @sushmitsinha_
Updated on: December 14, 2022 23:56 IST
Japanese Encephalitis- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Japanese Encephalitis

Highlights

  • जापानी बुखार से हर साल होती हैं भारत में मौतें
  • असम में अब तक 16 की मौत
  • बारिश के दौरान जापानी बुखार का बढ़ता है प्रभाव

Japanese Encephalitis: जापानी बुखार से देश में हर साल कई मौते होती हैं। बुधवार को असम में इस बीमारी से तीन लोगों की मौत हो गई। असम के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने इस पर बयान जारी करते हुए बताया कि जापानी बुखार, जिसे दिमागी बुखार भी कहते हैं, से दो लोगों की मौत करीमगंज और एक की मौत शिवसागर में हुई। असम में अब इस बीमारी से कुल 16 लोगों की जान चली गई है। राज्य में एक जुलाई से बुधवार तक कुल 121 मामले जापानी बुखार के सामने आ चुके हैं।

इसे जापानी बुखार क्यों कहा जाता है?

जापानी बुखार, जिसे जापानी इन्सेफेलाइटिस भी कहते हैं, का पहली बार पता साल 1871 में जापान में चला था। यह मच्छरों के जरिए फैलता है, इसलिए बरसात आते ही इसका असर दिखने लगता है। इसके मामले जून की शुरूआत से ही दिखने लगते हैं। हालांकि सर्दियों तक यह खत्म भी हो जाता है। भारत में इस बीमारी का सबसे पहले पता साल 1955 में तमिलनाडू में चला था, आज यह बीमारी पूरे देश के लिए समस्या बनी हुई है।

आंकड़े क्या बताते हैं

डब्लूएचओ के मुताबिक़ साउथ ईस्ट एशिया और वेस्टर्न पैसिफिक क्षेत्र की लगभग तीन अरब आबादी जापानी बुखार की चपेट में है। इसके अलावा हर साल दुनिया भर में लगभग 68 हज़ार से अधिक मामले जापानी बुखार के दर्ज किए जाते हैं, जिनमे लगभग 13- 20 हज़ार के मामले जानलेवा हो सकते हैं। सरकारी आंकड़ों की माने तो असम में जापानी बुखार से साल 2013 में लगभग 134, 2014 में 165 और 2015 में 135 लोगों की मौत हुई थी। वहीं 2016 और 2017 में भी जापानी बुखार के चलते यहां कुल 180 लोगों की मौत हुई थी।

कैसे होते हैं इसके लक्षण

जापानी बुखार में आपको बुखार, सिरदर्द और शरीर में अकड़न महसूस होगी। इसके साथ ही आपकी मांसपेशियां तेजी से सिकुड़ने लगती हैं। इस बीमारी में रोगी को झटके भी आते हैं। स्थिति गंभीर होने पर लकवे की भी संभावना बनी होती है। इससे बचाव के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे बढ़िया तरीका है इसका टीका लगवाना, इसके साथ ही अगर आप साफ-सफाई से रहें, अपने आस-पास पानी ना इकट्ठा होने दें, ताकि उससे मच्छरों की समस्या ना हो तो भी आप इससे बच सकते हैं। बारिश के मौसम में इस बीमारी से बचाव के खास ध्यान रखने की जरूरत है।

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