Monday, December 23, 2024
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सरहद पार तक गूंजेंगी मंदिरों की घंटियां, एलओसी के पास फिर बन रहा शारदा पीठ, जानिए क्या है प्लान?

एलओसी के पास शारदा भवानी मंदिर का फिर से पुनर्निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। जल्द ही कश्मीर घाटी में एक बार फिर मंदिरों के घंटियों की गूंज सुनाई देगी। 

Written by: Manzoor Mir
Published : April 02, 2022 14:36 IST
Sharda Bhawani Temple Reconstruction
Image Source : INDIA TV Sharda Bhawani Temple Reconstruction

Highlights

  • LoC से महज 500 मीटर दूर है शारदा पीठ मंदिर
  • 5 हजार साल पुराना मंदिर, कश्मीरी पंडितों से रहा गहरा नाता
  • मंदिर हिंदुओं के लिए बन रहा, निर्माण के काम में लगे हैं मुस्लिम

श्रीनगर। कश्मीर घाटी और कश्मीरी पंडित पिछले कई दिनों से खबर में हैं। 90 के दशक में कश्मीरी पंडित अपने घरों को छोड़कर पलायन कर गए और उनको फिर से कश्मीर में बसाने की बात हो रही है। अब एक ऐसी खबर आई है, जिसने कश्मीरी पंडितों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। एलओसी के पास शारदा भवानी मंदिर का फिर से पुनर्निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। जल्द ही कश्मीर घाटी में एक बार फिर मंदिरों के घंटियों की गूंज सुनाई देगी। जानिए क्या है इस ऐतिहासिक मंदिर के निर्माण का प्लान।

हिंदुस्तान-पाकिस्तान के एलओसी पर अब मंत्रोच्चार की गूंज सुनाई देगी। घंटियां बजेंगी, आरती होगी, भजन-कीर्तन होगा और मंदिर से निकली हर आवाज़ सरहद पार तक गूंजेगी। कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद जो नए और बड़े काम मोदी सरकार ने किए हैं, उनमें से एक है कुपवाड़ा में बन रहा मां शारदा भवानी का मंदिर। हजारों साल पुरानी विरासत का एक बार फिर जीर्णोद्धार होगा और धरती के स्वर्ग कश्मीर में श्रद्धालु शक्तिपीठ पर माथा टेकने जा सकेंगे।

LoC से महज 500 मीटर दूर है शारदा पीठ मंदिर

मां शारदा भवानी का मंदिर LoC से महज 500 मीटर की दूरी पर है। जो दशकों से ना हो पाया वो अब हो रहा है। माता का धाम बन रहा है। मान्यताओं के मुताबिक शारदा पीठ मंदिर शाक्त संप्रदाय को समर्पित पहला तीर्थ स्थल है। कश्मीर के इसी मंदिर में सबसे पहले देवी की स्थापना की गई। बाद में घाटी में खीर भवानी मंदिर और माता वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना हुई। ये पावन स्थल 18 महाशक्ति पीठों में एक के तौर पर पूजा जाता है।  

5 हजार साल पुराना मंदिर, कश्मीरी पंडितों से रहा गहरा नाता

करीब 5000 वर्ष पुराने इस मंदिर के अस्तित्व से कश्मीरी पंडितों का शुरू से नाता रहा है। अमरनाथ और अनंतनाग के मार्तंड सूर्य मंदिर की तरह शारदा पीठ मंदिर भी कश्मीरी पंडितों की आस्था का केंद्र है। देश के विभाजन से पहले शारदा पीठ मंदिर के लिए छड़ी मुबारक से लेकर विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती थी। कुपवाड़ा में LoC के करीब जहां मंदिर की स्थापना की जा रही है, वहीं गुरुद्वारा और मस्जिद का भी निर्माण किया जाएगा। मंदिर हिंदुओं के लिए बन रहा है और इसके निर्माण के काम में मुसलमान लगे हैं।

पीओके वाले मंदिर में भी पूजा की उठ रही मांग

शारदा भवानी का मूल शक्तिपीठ पीओके में है, जो खंडहर बन चुका है। 70 सालों से वहां विधि विधान से पूजा नहीं हुई। अब श्रद्धालु पीओके वाले मंदिर में भी पूजा की मांग कर रहे हैं। कश्मीर एक बार फिर अपने पुराने स्वरुप में नज़र आए, कश्मीरी पंडितों को उनका खोया वजूद वापस मिले, घाटी में अमन-चैन कायम हो, इसकी कोशिश मोदी सरकार लगातार कर रही है। शारदा शक्ति पीठ का निर्माण भी इसी दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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