Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में 120 फीट ऊंचा तिरंगा राष्ट्र को समर्पित किया। सिन्हा ने तिरंगा फहराया और पुलवामा में मिनी सचिवालय में गार्ड ऑफ ऑनर प्राप्त किया। उपराज्यपाल ने कहा, "तिरंगा एक राष्ट्र, एक भावना, एक पहचान का प्रतीक है। यह हमारे महान राष्ट्र का सम्मान और गौरव है, जो हमारे पूर्वजों के सपनों और हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को दर्शाता है।"
सिन्हा ने जिले में 9.11 करोड़ रुपये की विभिन्न युवा-उन्मुख परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी, जिसमें 4 करोड़ रुपये की लागत वाला जिला युवा केंद्र, 2 करोड़ रुपये की लागत से जिला युवा पुस्तकालय और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक परामर्श केंद्र शामिल है। सिन्हा ने कहा कि नई पहल का उद्देश्य युवाओं को सशक्त बनाना, आत्म-विकास को सक्षम बनाना उनके कौशल को तेज करना और उनके सपनों को साकार करने में मदद करना है। जिला युवा केंद्र युवाओं को खेलकूद, मनोरंजन और स्किलिंग के लिए आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराएगा। सिन्हा ने कहा कि जिला युवा पुस्तकालय के पूरा होने पर स्थानीय युवाओं को बेहतर शैक्षिक सहायता और पढ़ने की जगह, बुक बैंक, डिजिटल लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लासरूम और चर्चा कक्ष जैसी सुविधाएं मिलेंगी।
तिरंगा कैसे बना राष्ट्रीय ध्वज
22 जुलाई ही वह खास दिन है जब संविधान सभा ने देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के कमिटी की सिफारिश पर तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया था। हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। पिंगली वेंकैया को महात्मा गांधी ने तिरंगे को डिजाइन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
लगभग 5 साल लग गए थे तिरंगा बनाने में
पिंगली वेंकैया की गांधी जी से मुलाकात दक्षिण अफ्रीका में हुई थी। इस दौरान वेंकैया ने अपने अलग राष्ट्रध्वज होने की बात कही जो गांधीजी को अच्छी लगी। वहीं बापू ने उन्हें राष्ट्रध्वज डिजाइन करने का काम सौंपा दिया। जिसके चलते वह भारत वापस लौट आए और इस पर काम शुरू कर दिया। पिंगली वेंकैया ने लगभग 5 सालों के अध्ययन के बाद तिरंगे का डिजाइन तैयार किया। इसमें उनका सहयोग एस.बी.बोमान और उमर सोमानी ने दिया और उन्होंने मिलकर नैशनल फ्लैग मिशन का गठन किया।