Jammu Kashmir: हाल के समय में जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए स्टिकी बम नया खतरा बनकर उभरे हैं। पिछले छह महीनों के दौरान जम्मू कश्मीर पुलिस और सुरक्षाबलों ने जम्मू और कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों से 17 ऐसे बमों को बरामद किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक आतंकी ऐसे बमों को महत्वपूर्ण वाहनों के नीचे चिपकाकर बड़ी वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं। दरअसल, कश्मीर घाटी में पिछले दिनों एक बस पर आतंकी हमले में चार लोग मारे गए थे और 24 घायल हुए थे। इस मामले की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी NIA कर रही है। इस आतंकी हमले में ‘स्टिकी बम’ का इस्तेमाल हुआ। यह बम अफगानिस्तान में अमेरिका, या कहें नाटो सेनाओं ने काफी उपयोग किया था। स्टिकी बम भी एक तरह का इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस, यानी IED ही है।
क्या है यह स्टिकी बम
स्टिकी बम को कुछ समय पहले आतंकियों के पास से बरामद किया गया था। बेहद छोटे साइज के इन बमों में चुंबक या फिर चिपकाने वाला पदार्थ लगाकर आतंकी इसको वाहन और संवेदनशील जगह पर लगाने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि बड़े से बड़ा धमाका हो और घाटी में एक बार फिर दहशत फैले। सुरक्षा एजेंसियों को जो इनपुट मिला है उसके मुताबिक आईईडी की तरह इस बम को इस्तेमाल करने की कोशिश की जाएगी।
बम का वजन करीब ढाई सौ ग्राम होगा और यह रिमोट कंट्रोल द्वारा संचालित होगा। हालांकि स्टिकी बम का इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध, अफगान युद्ध के दौरान भी होता रहा है, लेकिन कश्मीर घाटी में इसका इस्तेमाल बिल्कुल नई बात है। इस बम को फटने में सिर्फ 5 से 10 मिनट लगते हैं और नुकसान बहुत बड़ा होता है। खतरे के इस पहलू को देखते हुए वाहनों की चेकिंग भी बड़ी तादाद में बढ़ा दी गई है।
घाटी में सीआरपीएफ ने तैयार की रणनीति
सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों के मंसूबे का अंदाजा है जिसके बाद इनको जवाब देने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने कहा, 'कुछ आतंकियों के पास से हमने यह बरामद किया है जिसके बाद हमने अपनी रणनीति तैयार की है। हमें पूरी जानकारी है इस तरीके के खतरे के बारे में तो हमने वाहनों की चेकिंग और अपनी फोर्स जो की घाटियों में तैनात है वहां पर मुस्तैद रहने के लिए कह दिया है।'