Highlights
- जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग की फाइनल रिपोर्ट
- नए परिसीमन के बाद क्षेत्रीय दलों के लिए राह मुश्किल
- 90 विधानसभा सीटों में 43 जम्मू और 47 कश्मीर क्षेत्र को
Jammu Kashmir Delimitation: परिसीमन आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी है। गुरुवार को नई दिल्ली में जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग ने एक बैठक के बाद रिपोर्ट को जारी किया। रिपोर्ट के जारी होने के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो गया है। माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और अन्य राष्ट्रीय दलों के बेहतर प्रदर्शन करने के आसार हैं और शायद यही कारण है कि अब तक प्रदेश पर अपना प्रभुत्व कायम रखने वाली पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
PDP-नेशनल कॉन्फ्रेंस की राह कैसे होगी कठिन?
जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में जम्मू संभाग में 6 सीटें व कश्मीर संभाग में 1 विधानसभा सीट को बढ़ाया गया है। इस गणित को समझें तो यही फैक्टर राष्ट्रीय दलों के लिए एक बड़ा बोनस साबित हो सकता है। चूंकि मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर क्षेत्र में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस का दबदबा है। लेकिन अब जम्मू संभाग जहां घाटी के क्षेत्रीय दल कमजोर हैं, में विधानसभा सीटों की सख्या बढ़ने के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों का पलड़ा भारी होने की संभावना है। इतना ही नहीं नए परिसीमन में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को प्रतिनिधित्व के मौके बढ़ने के साथ ही माना जा रहा है इसका भी सीधा फायदा बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दलों को ही जाएगा।
परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में क्या है-
जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में पहली बार 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं, जबकि अनुसूचित जाति के लिए पहले की तरह ही 7 विधानसभा सीटें हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है जब सभी पांच संसदीय सीटों में बराबर विधानसभाएं बांटी गई हैं। परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने से यहां पर सात विधानसभा सीटों में बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में जम्मू संभाग में 6 व कश्मीर संभाग में 1 विधानसभा सीट को बढ़ाया गया है।
कश्मीरी पंडितों और विस्थापितों के लिए क्या-
90 विधानसभा सीटों में 43 जम्मू को और 47 कश्मीर क्षेत्र में रखी गई हैं। वहीं विस्थापित कश्मीरियों और माइग्रेंट के लिए अतिरिक्त सीटों की सिफारिश की गई है। जिसका मतलब है कि घाटी की नई विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके (पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू कश्मीर) विस्थापितों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
लालचौक और वैष्णोदेवी के नाम नई विधानसभा सीट-
परिसीमन आयोग ने जम्मू और कश्मीर को परिसीमन के लिए एक ही इकाई के रूप में माना है। इस रिपोर्ट में पटवार मंडल सबसे निचली प्रशासनिक इकाई है जिसे तोड़ा नहीं गया है। सभी विधानसभा क्षेत्र संबंधित जिले की सीमा के भीतर ही रहेंगे। लालचौक और माता वैष्णोदेवी के नाम से भी नई विधानसभा सीटें रखी गई हैं। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट गजट में भी प्रकाशित की गई है।
जल्द होंगे विधानसभा चुनाव-
परिसीमन आयोग की फाइनल रिपोर्ट के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव अक्टूबर तक हो सकते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने फरवरी में कहा था कि परिसीमन की प्रक्रिया जल्द पूरी होने वाली है। अगले 6 से 8 महीने में विधानसभा के चुनाव होंगे। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव अमरनाथ यात्रा के बाद कराए जा सकते हैं क्योंकि यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था के लिए केंद्रीय बल प्रदेश में पहले से ही मौजूद रहेंगे।