Highlights
- अपने गांव से 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे
- जगदीप को मजबुरन 2003 में भाजपा में शामिल होना पड़ा
- जगदीप धनखड़ को राजस्थान में एक प्रभावशाली जाट नेता के रूप में जाना जाता है
Vice President: उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ ने शानदार जीत दर्ज की है। वही 11 अगस्त को उप राष्ट्रपति पद की शपथ लेगें। आपको बता दें, बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप को विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के खिलाफ 528 वोट प्राप्त हुए। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने ट्वीटर पर बधाई दी। आज हम नए उप राष्ट्रपति से जुड़ी ऐसी कहानी के बारे में जानने की कोशिश करेंगे, शायद जिनके बार में आपको भी मालुम नहीं होगा। ।
विद्यालय जाने के लिए 6 किलोमीटर तक चलना पड़ता था पैदल
जगदीप धनखड़ का जन्म 1951 में राजस्थान के किठाना गांव में हुआ था। किसानों के परिवार में पले-बढ़े जगदीप को हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे। प्राथमिक शिक्षा तक पढ़ाई गांव से ही किया। अपने गांव से 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे। आग की पढ़ाई के लिए चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल चले गए। चित्तौड़गढ़ में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, जगदीप ने जयपुर के महाराजा कॉलेज से भौतिकी में बीएससी किया। इसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई राजस्थान विश्वविद्यालय से की। आपको बता दें, जगदीप ने अपना एलएलबी पूरा करने के बाद राजस्थान उच्च न्यायालय में अभ्यास किया था हालांकि कुछ दिनों बाद मुख्य रूप से सर्वोच्च न्यायालय में अपनी योगदान देने लगे। ये सबस कम उम्र में ही राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। ऐसा कहा जाता है कि मुकदमेबाजी में अपने अंदाज में करते थे।
उपराष्ट्रपति की राजनीतिक यात्रा
देश में आपातकाल के बाद कई नेताओं के भाग खुल गए थे इसमें जगदीप धनखड़ भी थे। वो पहली बार 1989 से झुंझुन से जनता दल पार्टी से चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की। इस जीत के बाद उन्हें महत्वपूर्ण विभागों में भी महत्वपूर्ण पदों पर काम करने का मौका मिला। जगदीप 1990 में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। जगदीप लोगों के बीच काफी अपनी पकड़ बना चुके थे उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति से विराम लेते हुए राज्य की राजनीति में कदम रखा और 1993 में अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा चुनाव जीता। हालांकि कुछ समय बाद जगदीप कांग्रेस में शामिल हो गए थे तब उस समय पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा थे। लेकिन राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत के बढ़ती दबदबा देख,जगदीप को मजबुरन 2003 में भाजपा में शामिल होना पड़ा।
जाटों में काफी अच्छी पकड़ है
वही जगदीप धनखड़ को राजस्थान में एक प्रभावशाली जाट नेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने राज्य में जाट आरक्षण के मुद्दे में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। उपराष्ट्रपति के रूप में उनका चुनाव सुनिश्चित करेगा कि दोनों सदनों की अध्यक्षता राजस्थान के नेताओं द्वारा की जाए। इस कदम से सरकार को अगले साल होने वाले राजस्थान चुनाव में बढ़त हासिल करने के लिए कोशिश करेगी। इसी बहाने बीजेपी जाट वोट बैंक पर कब्जा करने के लिए ये कार्ड भी खेला है। जगदीप धनखड़ ने अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों में डिप्टी पीएम चौधरी डेविल लाल से काफी प्रभावित रहे।
जब बंगाल के राज्यपाल बनें
जगदीप धनखड़ को 2019 में बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। जाधवपुर विश्वविद्यालय विवाद या डीजीपी नियुक्ति जैसे कई मुद्दों पर उन्हें बंगाल की मौजूदा सीएम ममता बनर्जी से लगातार असहमति का सामना करना पड़ता था। हालांकि, यह उनकी कानूनी विशेषज्ञता थी जिसने उन्हें टीएमसी शासित पश्चिम बंगाल में केंद्र की उपस्थिति बनाए रखने की अनुमति दी। वे वीपी वेंकैया नायडू का कार्यकाल पूरा होने के बाद शपथ लेंगे। आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है। जगदीप संसद के 14वें उपाध्यक्ष होंगे।