Wednesday, November 20, 2024
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पुरी: जगन्‍नाथ मंदिर के रत्‍न भंडार में मिलीं प्राचीन मूर्तियां, खजाना देखकर खुली रह गई आंखें!

रत्न भंडार की सूची की निगरानी के लिए गठित 11 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष ने बताया कि 5 से 7 प्राचीन छोटी मूर्तियां मिलीं जो पिछले चार दशकों में लगभग काली हो गई हैं

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: July 18, 2024 0:11 IST
Puri Jaganath temple- India TV Hindi
Image Source : PTI पुरी: जगन्नाथ मंदिर

भुवनेश्वर: रविवार को जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को 46 साल बाद खोलने वाले सरकारी अधिकारियों और सेवादारों को खजाने के भीतरी कक्ष में कीमती धातुओं से बनी कई प्राचीन मूर्तियां मिलीं। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक इन मूर्तियों को पहले किसी सूची में शामिल नहीं किया गया था।

प्राचीन छोटी मूर्तियां मिलीं

रत्न भंडार की सूची की निगरानी के लिए गठित 11 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष बिस्वनाथ रथ ने कहा, " 5 से 7 प्राचीन छोटी मूर्तियां पिछले चार दशकों में लगभग काली हो गई हैं। हमने उन्हें छुआ नहीं। हमने तुरंत एक दीया जलाया और मूर्तियों की पूजा की। उन मूर्तियों को गुरुवार को अस्थायी स्ट्रांग रूम में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। मूर्तियों के वजन और निर्माण से संबंधित विवरण सूची के बाद ही पता लगाया जा सकता है।"

आंतरिक कक्ष में कई कीमती सामान 

सेवादारों का मानना ​​है कि इन मूर्तियों की पूजा बहुत पहले भंडार या खजाने के केयरटेकर किया करते थे। टीम के सदस्यों ने माना कि  वे आंतरिक कक्ष के भीतर संदूकों और अलमारियों में ऱखे विशिष्ट प्रकार के कीमती सामानों के बारे में नहीं जानते थे। बड़े पैमाने पर ये ऐसी अटकलें हैं कि आंतरिक कक्ष में कई कीमती सामान थे, जैसे सोने के मुकुट, सोने और बाघ के पंजे, सोने की माला, सोने के पहिये, सोने के फूल, सोने के मोहर (सिक्के), लॉकेट, चांदी के सिंहासन, कंगन, हीरे और मोतियों से सजे हार, और सोने से जड़ी मयूर चंद्रिका आदि।

विवार को रत्न भंडार में प्रवेश करने वाली टीम में शामिल सेवादार दुर्गा प्रसाद दासमोहपात्रा ने कहा, "हमें बाहरी कक्ष में केवल सोने और चांदी की वस्तुएं मिलीं, जिसे वार्षिक उत्सवों के दौरान देवताओं के उपयोग के लिए खोला जाता है। हमें नहीं पता कि आंतरिक कक्ष में बक्सों में क्या रखा है।"

पुरी में लाखों लोगों ने भगवान जगन्नाथ के 'स्वर्ण भेष' के दर्शन किए

पुरी में बुधवार को भगवान जगन्नाथ के 'स्वर्ण भेष' आयोजन को देखने के लिए करीब 15 लाख लोग एकत्रित हुए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि इस आयोजन में रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को बहुमूल्य रत्नों से जड़े स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया था। अपने रथों पर विराजित भगवान जगन्नाथ के भाई-बहनों (देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र) की मूर्तियों को भी सेवायतों द्वारा बारहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध मंदिर के सिंह द्वार के सामने स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया। सूत्रों ने कहा कि देवी-देवता इस अवसर पर लगभग 208 किलोग्राम सोने के आभूषण पहनते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह परंपरा 15वीं सदी से चली आ रही है। देवी-देवताओं की मूर्तियों के इस श्रृंगार को 'स्वर्ण भेष' कहते हैं। 

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने संवाददाताओं को बताया, "भक्त बुधवार रात 11 बजे तक देवी- देवताओं के दर्शन कर सकते हैं।" पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, "हमने 15 लाख भक्तों के लिए सुचारू दर्शन की व्यवस्था की है। रात करीब 11 बजे देवताओं की स्वर्णिम पोशाकें उतार दी जाएंगी। लोग शाम पांच बजे से रात 11 बजे के बीच तीनों देवी-देवता के दर्शन कर सकते हैं।" श्री जगन्नाथ संस्कृति शोधकर्ता असित मोहंती के अनुसार, पुरी मंदिर में 'स्वर्ण भेष' अनुष्ठान 1460 में राजा कपिलेंद्र देव के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था, जब राजा दक्षिण भारत के शासकों से युद्ध जीतने के बाद 16 गाड़ियों में सोना भरकर ओडिशा लाए थे। (इनपुट-भाषा)

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