Sunday, December 22, 2024
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पाकिस्तान के लिए काम करते थे कश्मीर के ये दो डॉक्टर, J&K सरकार ने किया बर्खास्त, जानें क्या है 2009 का मामला

आसिया और नीलोफर की मृत्यु 29 मई 2009 को डूबने से हो गई थी। इन दोनों का मुख्य मकसद सुरक्षा बलों पर बलात्कार और हत्या का झूठा आरोप लगाकर भारतीय सेना व देश के खिलाफ असंतोष पैदा करना था।

Reported By : Devendra Parashar Edited By : Avinash Rai Published : Jun 22, 2023 15:37 IST, Updated : Jun 22, 2023 16:37 IST
J&K government terminated Dr Bilal Ahmad Dalal and Dr Nighat Shaheen Chilloo from the service for ac
Image Source : PTI पाकिस्तान के लिए काम करते थे कश्मीर के ये दो डॉक्टर

जम्मू कश्मीर सरकार ने डॉ. बिलाल अहमद दलाल और डॉ. निगहत शाही चिल्लों को उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इन दोनों पर आरोप है कि दोनों पाकिस्तान के लिए काम कर रहे थे और कश्मीर में साजिश रच रहे थे। इन्होंने शोपियां की आसिया और नीलोफर की पोस्टमॉर्टम की थी जिसके बाद हिंसा भड़की थी। बता दें कि आसिया और नीलोफर की मृत्यु 29 मई 2009 को डूबने से हो गई थी। इन दोनों का मुख्य मकसद सुरक्षा बलों पर बलात्कार और हत्या का झूठा आरोप लगाकर भारतीय सेना व देश के खिलाफ असंतोष पैदा करना था। 

पाकिस्तान के लिए करते थे काम

आसिया और नीलोफर मामले की जांच के बाद सरकार ने दोनों डॉक्टरों डॉ. बिलाल अहमद दलाल और डॉ. निगहत शाही चिल्लों को बर्खास्त कर दिया है। इन्हें बर्खास्त करने के लिए संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल किया गया है। जांच में यह पाया गया है कि डॉ. बिलाल और डॉ. निगहत दोनों ही पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक जांच से पता चला है कि उस समय की तत्कालीन सरकार को इस बाबत जानकारी थी लेकिन सरकार ने इस मामले को दबा दिया था जबकि कश्मीर जल रहा था। 

6000 करोड़ के व्यापार का नुकसान

सूत्रों के मुताबिक इस साजिश के बाद कश्मीर घाटी लगभग 7 महीने तक सुलगती रही। जून-दिसंबर 2009 के सात महीनों में हुर्रियत जैसे समूहों द्वारा 42 बार हड़ताल का आह्वान किया गया था। इसके परिणामस्वरूप घाटी मे बड़े लेवल पर दंगे देखने को मिले थे। इस दौरान छोटी-बड़ी करीब 600 से अधिक कानून व्यवस्था के मामले देखने को मिले थे। दंगा, पथराव, आगजनी के विभिन्न थानों में कुल 251 एफआईआर दर्ज किए गए थे। वहीं इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान 7 नागरिकों की जान चली गई थी जबकि 103 लोग घायल हुए थे। इसके अतिरिक्त 29 पुलिसकर्मियों समेत 6 अर्धसैनिक बलों के जवानों को चोटें आईं। अनुमान के मुताबिक उन 7 महीनों में करीब 6000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ था। 

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