उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील के ऊपर बादल फटने और तीस्ता नदी में अचानक आए सैलाब ने वहां का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। प्राकृतिक आपदा के कारण पूरे इलाके को भारी नुकसान हुआ है और कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस बीच प्रशासन और सेना की ओर से इलाके में बड़े स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे ही एक बचाव अभियान में जवानों के शौर्य की कहानी लोगों के सामने आई है।
68 जिंदगियां बचाई
अचानक आई बाढ़ के कारण बीते 3 दिनों से 68 लोग 16 हजार फीट की ऊंचाई पर फंसे हुए थे। इन सभी का कनेक्शन पूरी तरह से उत्तरी सिक्किम से कट गया था। इन लोगों को बचाने के लिए आईटीबीपी की बचाव टीम ने बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। इस ऑपरेशन में जवानों ने सभी 68 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इसके अलावा आईटीबीपी ने बताया है कि एक अन्य बचाव अभियान में तीस्ता पावर प्रोजेक्ट, चुंगथम के 6 अधिकारियों को भी सुरक्षित बचाया गया है।
इतने लोगों की गई जान
सिक्किम में बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक आयी बाढ़ के तीन दिन बाद, इसके जल प्रवाह वाले निचले इलाकों में मिले शवों की संख्या बढ़कर 25 हो गयी है, जबकि बड़ी संख्या में लोग अब भी लापता हैं। अधिकारियों के मुताबिक, मृतकों में सेना के सात जवान भी शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक, आपदा के कारण 143 लोग अब भी लापता हैं और करीब 2,413 लोगों को बचा लिया गया है।
मुआवजे की घोषणा
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने राज्य में बाढ़ में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। उन्होंने राहत शिविरों में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति को दो हजार रुपये तत्काल राहत के रूप में देने की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि राज्य सरकार विस्थापित लोगों की मुश्किलों को हल करने के लिए सभी तरह के प्रयास कर रही है।
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