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अब चीन ने दोहराया गलवान तो मुंह तोड़ जवाब देंगे ITBP के जवान, पंचकुला में तैयार हो रहे फौलादी हाथ

ट्रेनिंग में खासतौर पर बिना गोली चलाए जैपनीज और इजराइली टेक्निक से जुडो-कराटे, कुंगफू, कोरोमा समेत अन्य कई तरह की शारीरिक तकनीक सिखाई जा रही है।

Reported By: Puneet Pareenja @puneetpareenja
Published : Jan 04, 2023 14:30 IST, Updated : Jan 04, 2023 14:57 IST
आईटीबीपी जवानों को दी रही खास ट्रेनिंग
Image Source : FILE PHOTO आईटीबीपी जवानों को दी रही खास ट्रेनिंग

भारत-चीन सीमा पर डोकलाम, गलवान और तवांग घाटी में चीनी पीएलए आर्मी के साथ हुई खूनी झड़पों से सबक लेते हुए आईटीबीपी ने अब अपने जवानों को चीनी सैनिकों का उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है। अब अगर चीनी सैनिक लाठी-डंडों से लैस होकर या बेसबॉल के बैट के ऊपर कंटीली तारें लगाकर हमारे जवानों को उकसाते हैं या फिर भारतीय जमीन पर कब्जा करने के इरादे से हमारी सीमा में दाखिल होते हैं, तो आईटीबीपी के जवान भी चीनी सैनिकों के अंदाज में ही जवाब देने के लिए तैयार हैं। आईटीबीपी के पंचकूला के भानु स्थित बेसिक ट्रेनिंग सेंटर में अन-आर्म्ड कॉम्बैट ट्रेनिंग लगातार आईटीबीपी के जवानों को दी जा रही है।

आईटीबीपी ने पिछले दो सालों में करीब 3500 जवानों को ट्रेंड करके चीनी सीमा पर तैनात किया है। 16 हफ्ते की स्पेशल अन-आर्म्ड कॉम्बैट में चाकू, लाठी-डंडों और कंटीली तार लगे बेसबॉल बैट से लैस होकर आए दुश्मन का सामना करने के लिए इन जवानों को तैयार किया जा रहा है। हर साल ट्रेनिंग में 15 से 20 नए मूव शामिल करवाए जाते हैं।

कई तरह की शारीरिक तकनीक सिखाई जा रही

आईटीबीपी की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा जवान इस तरह की मार्शल आर्ट और अन-आर्म्ड कॉम्बैट ट्रेनिंग में ट्रेंड हो। खासतौर पर 35 साल तक के युवा जवानों को चीनी सीमा पर पीएलए सैनिकों के साथ होने वाली झड़प की स्थिति से निपटने के लिए तैनात किया जा रहा है। ट्रेनिंग में खासतौर पर बिना गोली चलाए जैपनीज और इजराइली टेक्निक से जुडो-कराटे, कुंगफू, कोरोमा समेत अन्य कई तरह की शारीरिक तकनीक सिखाई जा रही है।

जवानों को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि ताकि चाकू या डंडे से लैस हमलावर को एक पल में चित कर दे। इसमें तीन-तीन मिनट के विशेष कोर्स में जवानों को पारंगत किया जा रहा है। चीनी सैनिकों के क्रूर हमले जैसी परिस्थितियों से निपटने के लिए आईटीबीपी ने अन-आर्म्ड कॉम्बैट रणनीति बनाई है, जिसके तहत जवानों को हथियारों के बिना किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने का आक्रामक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ट्रेनिंग में जिस तरह से चीनी सैनिक लाठी-डंडों और बेसबॉल के बैट के ऊपर कंटीली तारें लगाकर पहुंचते हैं उसी तरह के हथियार आईटीबीपी ने भी ट्रेनिंग के लिए तैयार किए हैं। 

नई तकनीक में रक्षात्मक और आक्रामक दोनों चालें शामिल 

आईटीबीपी के आईजी ईश्वर सिंह दुहन ने बताया कि निहत्थे युद्ध लड़ने की नई तकनीक में रक्षात्मक और आक्रामक दोनों चालें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल जवानों के लिए यह मॉड्यूल लाया गया था। इसके तहत पंचकूला के भानू स्थित आईटीबीपी के बेसिक ट्रेनिंग सेंटर में अनुभवी प्रशिक्षक जवानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। एलएसी के साथ कुछ सबसे कठिन चौकियों में तैनात सैनिकों की शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से इस प्रशिक्षण मॉड्यूल को तैयार किया है। 

पहले डोकलाम, उसके बाद गलवान और तवांग घाटी में जिस तरह की झड़प चीनी सैनिकों के साथ हुई है उसके बाद इस ट्रेनिंग को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। जवानों को दुश्मन का उसी की शैली में जवाब देने के लिए तैयार किया जा रहा है। भारत-चीन सीमा पर अब इस तरह की ट्रेनिंग किए गए जवानों की ही तैनाती काफी जरूरी हो गई है।

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