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इसरो का SpaDeX मिशन तीसरी बार टला, आखिर क्या है वजह, जानिए

इसरो का SpaDeX प्रोजेक्ट अपने लक्ष्य के करीब पहुंचने के बाद भी मिशन को पूरा नहीं कर पाया। आज ये तीसरी कोशिश थी। इससे पहले भी डॉकिंग प्रोसेस को दो बार टालना पड़ा था।

Reported By : T Raghavan Edited By : Malaika Imam Published : Jan 12, 2025 11:33 IST, Updated : Jan 12, 2025 11:33 IST
SpaDeX मिशन
Image Source : PTI SpaDeX मिशन

ISRO SpaDeX Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) प्रोजेक्ट अपने लक्ष्य के बिल्कुल करीब पहुंचने के बाद भी मिशन को पूरा नहीं कर पाया। ISRO ने बताया कि दोनों सैटेलाइट्स की दूरी को 15 मीटर से 3 मीटर तक लाने की कोशिश सफल रही, जिसके बाद दोनों सैटेलाइट्स को एक दूसरे से दूर कर दिया गया है। अब डाटा विश्लेषण के बाद डॉकिंग की कोशिश की जाएगी। आज ये तीसरी कोशिश थी। इससे पहले भी डॉकिंग प्रोसेस को दो बार टालना पड़ गया था।

डॉकिंग की तीसरी कोशिश

अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को आपस में जोड़ने की जटिल प्रक्रिया को स्पेस डॉकिंग कहा जाता है। डॉकिंग की ये तीसरी कोशिश शनिवार आधी रात के बाद शुरू हुई, जिसके तहत स्लो ड्रिफ्ट तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दोनों सैटेलाइट्स के बीच की दूरी महज 15 मीटर लाया गया। उस समय ISRO ने कहा कि दोनों सैटेलाइट्स एक दूसरे से मिलन को तैयार हैं। 9 जनवरी को किए गए प्रयास के तहत जब दोनों सैटेलाइट्स के बीच की दूरी 230 मीटर थी, तभी सैटेलाइट का ड्रिफ्ट यानी भटकाव उम्मीद से ज्यादा हो गया और मिशन को टालना पड़ गया था।

क्यों रोकी गई डॉकिंग प्रक्रिया?

आज तड़के जब दोनों सैटेलाइट्स की बीच की दूरी 15 मीटर रह गई, तब पूरा देश ये उम्मीद करने लगा कि इस बार डॉकिंग सफल रहेगी। कुछ देर तक इस पोजीशन पर सैटेलाइट्स को होल्ड किया गया। दोनों सैटेलाइट्स से एक दूसरे की तस्वीरें और वीडियो बनाया गया, जिसके बाद अगले पड़ाव की कोशिश शुरू हो गई। सैटेलाइट्स को 15 से 3 मीटर की दूरी पर लाया गया, तभी कुछ गड़बड़ी हुई और दोनों सैटेलाइट्स को एक दूसरे से सुरक्षित दूरी तक ले जाया गया।

पिछली कोशिश में ड्रिफ्ट यानी दोनों के बीच भटकाव ज्यादा हो गया था। दोनों सेटेलाइट को एक दूसरे से मिलाने के लिए दोनों का एक सीध में होना बेहद अहम है। दोनों की दिशा में थोड़ा सा भी भटकाव डॉकिंग को नाकाम कर सकता है। इस बार ड्रिफ्ट यानी भटकाव को जीरो डिग्री पर बनाए रखने में इसरो के वैज्ञानिक कामयाब रहे, लेकिन एक अहम सेंसर से सिग्नल मिलने में देरी हो गई। ISRO के सूत्रों ने बताया कि डॉकिंग के लिए जरूरी प्रोक्सिमिटी एंड डॉकिंग सेंसर के बर्ताव में गड़बड़ी देखी गई। सैटेलाइट्स की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऑन बोर्ड सिस्टम्स को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि जरा सी गड़बड़ी होने पर भी सैटेलाइट्स का सेफ्टी मोड खुद ब खुद ऑन हो जाता है और सैटेलाइट्स एक दूसरे से सुरक्षित दूरी पर चले जाते हैं।

कब होगी डॉकिंग की कोशिश?

ISRO के सूत्रों के मुताबिक, आज कुछ ऐसा ही हुआ। अब प्रोक्सिमिटी एंड डॉकिंग सेंसर के बर्ताव में हुई गड़बड़ी का विस्तार से आकलन किया जा रहा है।  इस खामी को दूर करने के बाद ही अब डॉकिंग की अगली कोशिश की जाएगी। ISRO सूत्रों के मुताबिक, आज शाम को दोनों सैटेलाइट्स एक बार फिर इसरो के ग्राउंड स्टेशन के ऊपर से गुजरेंगे, तब डॉकिंग की एक कोशिश की जा सकती है, लेकिन अगर तब तक खामी का आकलन नहीं हो पाता है, तो फिर अगले अवसर का इंतजार करना पड़ेगा। ISRO सूत्रों के मुताबिक, दो दिनों के बाद इन दोनों सैटेलाइट्स की विजिबिलिटी भारत में मौजूद ग्राउंड्स स्टेशन से नहीं मिल पाएगी। ऐसे में हमें डॉकिंग के अगले अवसर के लिए मार्च महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है।

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