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ISRO: भारत की बेटियों ने बनाई 'आजादी सैटेलाइट', क्या है इस Satellite की खासियत

ISRO: भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर केंन्द्र सरकार आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रही है। इसी कार्यक्रम के तहत रविवार को आजादी नाम की एक सैटेलाइट को लॉन्च किया गया है।

Written By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published on: August 07, 2022 16:34 IST
Isro- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Isro

Highlights

  • एसएसएलवी 34 मीटर लंबा होता है
  • 50 ग्राम औसत वजन के 75 उपकरण हैं
  • सरकारी स्कूलों की 750 छात्राओं ने मदद की है

ISRO: भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर केंन्द्र सरकार आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रही है। इसी कार्यक्रम के तहत रविवार को आजादी नाम की एक सैटेलाइट को लॉन्च किया गया है। आपको बता दें कि इस सैटेलाइट को बनाने में देश भर की सरकारी स्कूलों की 750 छात्राओं ने मदद की है। इसे सतीश धवन स्पेस सेंटर श्री हरिकोटो से लॉन्च किया जाएगा, इस लॉन्च में चार सौ से अधिक छात्रा शामिल रहेंगी। सैटेलाइट को स्पेस किड्ज इंडिया नाम की कंपनी ने बनाया है। 

क्या है आजादी सैटेलाइट? 

इस सैटेलाइट को सिर्फ लड़कियों ने बनाया है। सैटेलाइट का वजन 8 किलो है। वही इसमें 50-50 ग्राम वजन वाले 75 अलग अलग पैलॉ्डस होंगे। इसे SSLV के जरिए लॉ अर्थ ऑर्बिट में छोड़ा जाएगा। सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य है कि छात्रों को साइंस, टेक, इंजीनियरिंग, मैथ्स जैसे क्षेत्रों में आगे लाना। सभी छात्रों को इन पेलोड बनाने के लिए भी सिखाया गया है।  वही माइक्रो श्रेणी के ईओ-02 उपग्रह में इंफ्रारेड बैंड में चलने वाले और हाई स्पेशियल रेजोल्यूशन के साथ आने वाले आधुनिक ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग दिए गए हैं। आजादीसैट आठ किलो का क्यूबसैट है, इसमें 50 ग्राम औसत वजन के 75 उपकरण हैं। इन्हें ग्रामीण भारत के सरकारी स्कूलों की छात्राओं ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर इसरो के वैज्ञानिकों की मदद से बनाया। वहीं स्पेस किड्स इंडिया के विद्यार्थियों की टीम ने धरती पर प्रणाली तैयार की जो उपग्रह से डाटा रिसीव करेगी। 

क्या है एसएसएलवी और पीएसएलवी 

एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है जो पीएसएलवी से लगभग 10 मीटर कम है और पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है। एसएसएलवी का उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है, जबकि पीएसएलवी का 320 टन है, जो 1,800 किलोग्राम तक के उपकरण ले जा सकता है। एसएसएलवी 4 स्टेज रॉकेट है, पहली 3 स्टेज में ठोस ईंधन उपयोग होगा। चौथी स्टेज लिक्विड प्रोपल्शन आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल है जो उपग्रहों को परिक्रमा पथ पर पहुंचाने में मदद करेगा।

इसरो इस रॉकेट की मदद से बेहद कम समय व खर्च में 500 किलो तक के उपग्रह निचले परिक्रमा पथ (पृथ्वी से 500 किमी ऊपर तक) पर भेजे जा सकेंगे। इस मिशन में इसरो दो उपग्रह अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट- 02 और आजादीसैट भेज रहा है। पांच घंटे का काउंटडाउन रविवार सुबह 04:18 मिनट पर शुरू हुआ और 09:18 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। हालांकि अन्य मिशन में काउंटडाउन 25 घंटे का होता है। प्रक्षेपण के 13 मिनट बाद ईओएस-02 और फिर आजादीसैट को परिक्रमा पथ पर रखा जाएगा।

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