Highlights
- PFI ने रची थी पीएम मोदी की हत्या करने की साजिश
- 2047 तक भारत में इस्लामिक स्टेट की स्थापना करना था मकसद
- एनआइए के खुलासे से देश भर में सनसनी
PFI Connection with ISIS:इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) नाम पढ़कर ही इस संगठन की मंशा समझी जा सकती है। मौजूदा वक्त में दुनिया के यह सबसे बड़ा आतंकी संगठन है। इराक और सीरिया में ही नहीं, बल्कि अब यह आतंकी संगठन पूरी दुनिया के लिए खौफ का पर्याय बना है।
आएसआइस ने इराक और सीरिया में महिलाओं, बच्चों और लोगों के साथ कितने घिनौने और जघन्यतम जुर्म व अत्याचार किए हैं, यह किसी से छुपा नहीं है। यह आतंकी संगठन धीरे-धीरे पूरी दुनिया में अपनी जड़ें जमा रहा है। इसका मकसद जेहाद के जरिये विभिन्न देशों में इस्लामिक स्टेट की स्थापना करना है, जिसका साफ शब्दों में अर्थ है कि मुसलमानों की सत्ता स्थापित करना। इस संगठन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भी लग चुका है।
पीएफआइ और आइएसआइस के तार आपस में कैसे जुड़े थे, क्या भारत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का मकसद भी एक था? क्या आइएसआइएस के ही इशारे पर पीएफआइ भारत में उसके खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने में जुटा था?... नेशनल इंवेंस्टीगेशन एजेंसी (NIA) की टीम द्वारा देश भर में की जा रही ताबड़तोड़ छापेमारी के दौरान जो सुबूत हाथ लगे हैं, उसके बारे में जानकर आपके होश फाख्ते हो जाएंगे। अब तक एनआइए ने 100 से ज्यादा ऐसे संदिग्धों की गिरफ्तारी की है, जिनके तार सीधे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आइएसआइएस से जुड़े थे। आइए अब आपको बताते हैं कि आइएसआइएस और पीएफआइ भारत के खिलाफ कौन सी बड़ी साजिश रच रहे थे, जिसे एनआइए ने समय रहते बेनकाब कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश
पीएफआइ ने आइएसआइएस के साथ मिलकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश भी रच डाली थी। एनआइए के सूत्रों के अनुसार इसके लिए पीएफआइ को 200 करोड़ रुपये का फंड भी मिला था। प्रधानमंत्री मोदी की 12 जुलाई को हुई पटना यात्रा इसके लिए निशाने पर थी। यहां वारदात को अंजाम देने के लिए कई पीएफआइ के सदस्यों को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी थी। हालांकि वह इस घटना को अंजाम नहीं दे पाए।
2047 तक भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना
एनआइए के हाथ इससे पहले भी ऐसे कई सुबूत लगे थे, जिसमें पीएफआइ का मकसद आइएसआइएस के साथ मिलकर भारत में वर्ष 2047 तक इस्लामिक स्टेट की स्थापना करना था। यानि भारत में मुस्लिमों का राज स्थापित करना उनका मकसद था। इसके लिए गोला-बारूद इकट्ठा करने से लेकर हथियार जुटाना, आतंकी ट्रेनी हासिल करना इत्यादि शामिल था। इसके लिए पीएफआइ आतंकी समूह तैयार करने में लगा था।
आइएसआइस में मुस्लिम युवाओं को भर्ती करवाता था पीएफआइ
पीएफआइ का मकसद दुनिया के खतरनाक आतंकी संगठन आइएसआइएस में मुस्लिम युवाओं को भर्ती करवाना था। ताकि उसके आतंक की नर्सरी को और बड़ा किया जा सके। बाद में इन आतंकियों की फौज को भारत को अस्थिर करने और आतंकवाद फैलाने में किया जा सके। एनआइए के हाथ लगे दस्तावेजों के अनुसार पीएफआइ पढ़े-लिखे और बेरोजगार मुस्लिम युवाओं को अपने जाल में फंसाता था, फिर उन्हें आइएसआइएस से जोड़वा कर उन्हें मोटी कमाई का भी लालच देता था।
पीएफआइ का अन्य मकसद
भारत के लोगों में आतंक फैलाना, दहशत का माहौल पैदा करना था। इसके लिए हथियारों का इस्तेमाल करके आतंकी गतिविधि को अंजाम देना भी था। साथ ही साथ कालेज के प्रोफेसरों का हाथ काटना, अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े व्यक्तियों की निर्मम हत्या करना, टारगेट करके विभिन्न समूहों और स्थानों पर बम विस्फोट करना, आइएसआइएस का समर्थन करना और अन्य को इसके लिए तैयार करना, आम नागरिकों के दिल में आतंक का डर भरना था। धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों में शत्रुता पैदा करना, सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्मों का इसके लिए इस्तेमाल करना था। ताकि भारत में आतंक की जड़ों को मजबूत किया जा सके।
भारत में आतंक फैलाने के लिए विदेस से अरबों की फंडिंग
एनआइए की जांच में खुलासा हुआ है कि भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने और यहां इस्लामिक स्टेट की स्थापना के लिए अरबों की विदेश से फंडिंग की जा रही थी। हाल ही में इस तरह से 200 करोड़ से अधिक रुपये पीएफआइ के खाते में विदेश से आए हैं। यह रकम भेजने वाला गुमनाम है। एनआइए मामले की पड़ताल कर रहा है। यह पैसा पीएफआइ से जुड़े पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के खातों में अलग-अलग भेजा गया। ताकि उनकी यह साजिश पकड़ में नहीं आए।
देश भर में पीएफआइ के 106 सदस्य गिरफ्तार
एनआइए ने आतंकी फंडिंग और आतंकी साजिश के मामले में देश के विभिन्न राज्यों से अब तक पीएफआइ के 106 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। उनसे की गई पूछताछ के दौरान ही एनआइए ने उक्त खुलासे किए हैं। एनआइएए की छापेमारी में पीएफआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम, राष्ट्रीय सचिव, नसरुद्दीन एलमारम, पूर्व अध्यक्ष अबू बकर और केरल इकाई के अध्यक्ष सीपी मोहम्मद बशीर व दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परवेज अहमद जैसे पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है। माना जा रहा है कि सरकार अब इस संगठन पर बैन लगा सकती है।
शाहीन बाग और सीएए-एनआरसी विरोध मामले में भी पीएफआइ का हाथ
सीएए और एनआरसी के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में महीनों तक सरकार के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शन में भी पीएफआइ का हाथ सामने आया था। पीएफआइ द्वारा इसके खिलाफ फंडिंग की गई थी। ताकि देश में आतंक को बढ़ावा दिया जा सके और मोदी सरकार को अस्थिर किया जा सके। हालांकि वह साजिश भी कामयाब नहीं हुई थी। जांच के दौरान तभी एनआइए को टेरर फंडिंग के सुबूत मिले थे। तभी से इस संगठन की निगरानी बढ़ा दी गई थी। अब यह संगठन देश में बड़ी आतंकी साजिश रच रहा था और इसके लिए टेरर फंडिंग भी हुई थी। इसलिए एनआइए पीएफआइ पर कार्रवाई कर रहा है। राजस्थान में कन्हैया समेत देश के कई अन्य राज्यों में हुई हिंदुओं की निर्मम हत्याओं में भी आइएसआइएस और पीएफआइ का हाथ होने के संकेत एजेंसियों को मिले थे, जिसकी जांच की जा रही है।