नई दिल्ली: तमिलनाडु में विल्लुपुरम की एक कोर्ट ने IPS के निलंबित अधिकारी राजेश दास को एक महिला पुलिस अधिकारी से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले में शुक्रवार को दोषी ठहराते हुए 3 साल कैद की सजा सुनाई। राजेश दास पर 20,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। मामले की जांच तमिलनाडु पुलिस की CID ने की थी और जांच एजेंसी ने चेंगलपट्टू के तत्कालीन SP कन्नन के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था, जिन्होंने दास के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए चेन्नई जाते समय महिला को कथित तौर पर रोका था। CJM ने कन्नन पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया।
राजेश दास को अपील के लिए मिला 30 दिन का समय
हालांकि, अदालत ने IPS राजेश दास को जमानत दे दी और अपील के लिए 30 दिन का समय दिया है। दास पर महिला एसपी ने 2021 की शुरुआत में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उस समय वह विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) के पद पर कार्यरत थे। इससे पहले, तमिलनाडु सरकार ने राजेश दास को डिमोट करते हुए सस्पेंड कर दिया था। तमिलनाडु पुलिस के पूर्व विशेष महानिदेशक (कानून व्यवस्था) राजेश दास, केपीएस गिल और एसपीएस राठौड़ के बाद शायद तीसरे सीनियर IPS अफसर हैं, जिन्हें सेवा के दौरान यौन दुराचार के लिए दोषी करार दिया गया है।
एसपीएस राठौड़ और केपीएस गिल को भी मिल चुकी है सजा
दास से पहले, सीनियर पुलिस अफसर एस पी एस राठौड़ और के पी एस गिल को यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया गया था। राठौड़ को 1990 में 14 साल की रुचिका गिरहोत्रा के साथ छेड़खानी करने के आरोप में दोषी करार दिया गया था। यह घटना उस वक्त हुई थी जब राठौड़ हरियाणा के पुलिस महानिरीक्षक थे। उभरती टेनिस खिलाड़ी रुचिका ने आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि उसके परिवार और दोस्तों को परेशान किया गया था और पुलिस ने उसके भाई को अवैध रूप से हिरासत में ले कर प्रताड़ित किया था । राठौड़ को 2009 में 6 महीने जेल की सजा सुनाई गई थी।
राठौड़ की उम्र को देखते हुए सजा बाद में कम कर दी गई
मामले की जांच करने वाली CBI की दलील पर राठौड़ की सजा को बढ़ाकर 18 महीने कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2010 में राठौड़ को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वह चंडीगढ़ में ही रहेंगे। उसने बाद में छेड़खानी मामले में राठौड़ की सजा को बरकरार रखा, लेकिन उनकी उम्र को देखते हुये उनकी सजा को कम कर 6 महीने कर दिया। पंजाब पुलिस के पूर्व प्रमुख के पी एस गिल को एक महिला IAS अधिकारी का शील भंग करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उनकी 3 महीने की जेल की अवधि को ‘प्रोबेशन’ में बदल कर जेल जाने से बख्श दिया था।
गिल ने महिला IAS अफसर की पीठ पर फेरा था हाथ
सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के गिल को दोषी करार दिये जाने के फैसले को बरकरार रखा था। गिल को चंडीगढ़ की एक अदालत ने 6 जनवरी 1996 को महिला आईएस अधिकारी का शील भंग करने का दोषी ठहराया था। यह आरोप लगाया गया था कि शराब के नशे में धुत गिल ने 18 जुलाई 1988 को अपने आवास पर एक वरिष्ठ नौकरशाह द्वारा आयोजित पार्टी में IAS अफसर रूपन देओल बजाज की पीठ थपथपाई थी। एक और IPS अफसर पी एस नटराजन को यौन उत्पीड़न के आरोप में 2012 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन 2017 में झारखंड की एक अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में उन्हें बरी कर दिया।
कन्नन को मद्रास हाई कोर्ट ने लगाई थी कड़ी फटकार
ताजा मामले में कन्नन की समीक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने 2021 में कहा था, ‘अगर एक महिला IPS अफसर यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकती है, तो पदानुक्रम में नीचे की महिला पुलिसकर्मियों के बारे में कहने की जरूरत नहीं है।’ कन्नन पर महिला IPS अफसर को दास के खिलाफ शिकायत दर्ज करने से रोकने का आरोप लगाया गया था। कन्नन ने खुद को मामले से बरी करने की अपील करते हुए कहा था कि वह केवल दास के निर्देशों का पालन कर रहे थे। हालांकि, मद्रास हाई कोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगाते हुये उनसे पूछा था कि क्या वह अपने वरिष्ठों के कहने पर हत्या कर सकते हैं। (भाषा)