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Interesting aspects related to new CJI: चीफ जस्टिस बने यू यू ललित की जिंदगी से जुड़े रोचक पहलू, वकील से सीजेआई तक कैसे तय किया सफर

Interesting aspects related to new CJI: देश के 49 वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस उदय उमेश (यूयू) ललित की जिंदगी रोचक पहलुओं से भरी पड़ी है। उनके दादा से लेकर पिता तक नामचीन वकील और हाईकोर्ट के जज रहे हैं।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra
Published on: August 28, 2022 12:21 IST
CJI UU Lalit- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV CJI UU Lalit

Highlights

  • सिर्फ 74 दिन का रहेगा नए चीफ जस्टिस का कार्यकाल
  • सीजेआइ ने बांबे हाईकोर्ट से 24 वर्ष की उम्र में की थी वकालत की शुरुआत
  • सीजेआइ का परिवार 100 वर्षों से अधिक समय से न्यायिक सेवा से जुड़ा

Interesting aspects related to new CJI: देश के 49 वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस उदय उमेश (यूयू) ललित की जिंदगी रोचक पहलुओं से भरी पड़ी है। उनके दादा से लेकर पिता तक नामचीन वकील और हाईकोर्ट के जज रहे हैं। चीफ जस्टिस यूयू ललित देश के दूसरे ऐसे वकील हैं, जिन्होंने एडवोकेट से सीधे सुप्रीमकोर्ट के जज और फिर चीफ जस्टिस का सफर तय किया है। इससे पहले जस्टिस एसएम सीकरी देश के पहले वकील थे, जो सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और फिर वर्ष 1971 में देश के मुख्य न्यायाधीश बने। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) यूयू ललित का वकील से सुप्रीम कोर्ट का जज और फिर सीजेआइ बनने तक का सफर बेहद दिलचस्प और प्रेरणादायक भी है। आइए आपको बताते हैं कि दिल्ली के मयूर विहार में एक छोटे से फ्लैट में रहकर सुप्रीम कोर्ट की वकालत करते-करते उन्होंने इस पेशे में कैसे इतना नाम कमाया कि सीधे अब सीजेआइ की कुर्सी तक पहुंच गए। 

सीजेआइ यूयू ललित का जन्म आजाद भारत में 09 नवंबर 1957 में महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ था। उनके पिता उमेश रंगनाथ ललित (यूआर) ललित मुंबई हाईकोर्ट के जज रहे हैं। पिता यूआर ललित ने अपने वकालत की शुरुआत सोलापुर से ही की थी। देखते ही देखते मुंबई और महाराष्ट्र में वकालत के पेशे में उन्होंने बड़ा नाम कमाया। इसके बाद मुंबई हाईकोर्ट के जज बन गए। जस्टिस यूआर ललित का सीना उस वक्त गर्व से चौड़ा हो गया, जब उनके बेटे और देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने शपथ ग्रहण के बाद समारोह में मौजूद अपने पिता का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। वर्तमान में सीजेआइ के पिता जस्टिस यूआर ललित 90 वर्ष के हैं। 

100 वर्षों से सीजेआइ का परिवार है न्यायिक सेवा में 

सीजेआइ का परिवार 100 वर्षों से भी अधिक समय से न्यायिक सेवा में है। जस्टिस यूयू ललित के पिता जस्टिस यूआर ललित के मुंबई हाईकोर्ट का जज बनने से पहले उनके दादा रंगनाथ ललित महाराष्ट्र के सोलापुर में वकील थे। वह भी अपनी विद्वता की बदौलत शहर के नामचीन वकील बन गए थे। इसके बाद वह अपने बेटे उमेश ललित को भी अपने पेशे में लेकर आए। उमेश रंगनाथ ललित ने भी अपने वकालत की शुरुआत पिता की कर्मस्थली से ही की। उन्होंने भी पिता की तरह इस पेशे में बड़ा नाम कमाया। बाद में उन्हें मुंबई हाईकोर्ट का जज बनने का सौभाग्य मिला। इसी दौरान जस्टिस उमेश रंगनाथ ललित के बेटे और मौजूदा सीजेआइ यूयू ललित वकालत के पेशे में आ गए। 

24 वर्ष की उम्र में यूयू ललित ने शुरू की मुंबई हाईकोर्ट से वकालत
सीजेआइ यूयू ललित महज 24 वर्ष की उम्र में ही वकालत के पेशे में आ गए थे। वर्ष 1983 में उन्होंने अपने इस पेशे की शुरुआत मुंबई हाईकोर्ट से की। यहां वर्ष 1985 तक वकालत की। फिर वह दिल्ली आ गए और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराब जी के साथ हो लिए। वर्ष 1986 से 1992 तक अटॉर्नी जनरल के साथ रहकर सेवाएं देते रहे। इस दौरान वह दिल्ली के मयूर विहार में एक छोटे से फ्लैट में रहे। यहीं से सुप्रीम कोर्ट की वकालत में कदम रखा। कई महत्वपूर्ण केस जीतने के बाद उनका कद और रुतबा वकालत के क्षेत्र में बढ़ता गया। यह देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2004 में बतौर सीनियर एडवोकेट पंजीकृत किया। फिर जस्टिस ललित ने क्रिमिनल लॉयर के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में बड़ा नाम कमाया। 

अगस्त 2014 में पहली बार बने वकील से सुप्रीम कोर्ट के जज
क्रिमिनल लॉ के स्पेशलिस्ट वकील के तौर पर खुद को पूरे देश में स्थापित कर चुके जस्टिस यूयू ललित लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। देश में हुए 2जी घोटाला मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ का मुख्य लोक अभियोजक नियुक्त किया। वह दो बार सुप्रीम कोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी के सदस्य भी रहे। 13 अगस्त 2014 को यूयू ललित सीधे वकील से सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए। इसके बाद उनका सफर लगातार ऊंचाइयां छूता रहा।

सुप्रीम कोर्ट के जज रहने के दौरान दिए अहम फैसले
वर्ष 2014 से अब तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहने के दौरान जस्टिस यूयू ललित ने कई महत्वपूर्ण और लैंडमार्क फैसले दिए। इनमें तत्काल तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने का फैसला बेहद महत्वपूर्ण था, जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई। आगे भी इतिहास में उनके इस फैसले को याद रखा जाएगा। बांबे हाईकोर्ट के विवादित स्किन टू स्किन टच के फैसले को रद्द करना भी उनका अहम फैसला था। जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि पाक्सो एक्ट के तहत यौन हिंसा में बच्ची के यौन अंगों को छूना या अन्य शारीरिक गतिविधियां करना ज्यादा महत्वपूर्ण है न कि स्किन टू स्किन संपर्क होना। उनका यह फैसला पूरे देश में नजीर बना। मई 2021 में उन्हें राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया। 

सिर्फ 74 दिन के सीजेआइ
जस्टिस यूयू ललित का बतौर सीजेआइ कार्यकाल सिर्फ 74 दिन का रहेगा। आठ नवंबर 2022 को वह अपने पद से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामलों को सूचीबद्ध किए जाने और अति आवश्यक मामलों का उल्लेख किए जाने पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही है। साथ ही एक ऐसी संविधान पीठ बनाएंगे जो पूरे एक वर्ष तक चले। उनका मानना है कि कई ऐसे मामले होते हैं, जिस पर संविधान पीठ द्वारा व्याख्या करने की जरूरत होती है। इसलिए वर्ष भर ऐसी पीठ सुनवाई के लिए मौजूद रहनी चाहिए। 

सिर्फ 18 दिन के सीजेआइ रहे जस्टिस कमल नारायण सिंह
सीजेआइ यूयू ललित से पहले जस्टिस कमल नारायण सिंह केवल 18 दिन के लिए मुख्य न्यायाधीश बने थे। उनका कार्यकाल 25 नवंबर वर्ष 1991 से 12 दिसंबर 1991 तक था। वहीं जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूर्ण देश के सबसे लंबे समय तक सीजेआइ रहे। जिनका कार्यकाल सात वर्ष, चार महीने और 19 दिन का रहा।  

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