INS Vagir: चीन और पाकिस्तान के होश उड़ाने, समुन्दर में दुश्मन के छक्के छूड़ाने के लिए नौसेना का सबसे घातक सबमरीन 'आईएनएस वागीर' आ गया है। जो भारत कभी युद्धपोत और सबमरीन के लिए रूस और दूसरे देशों पर निर्भर रहता था वही भारत आज खुद इस क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। आईएनएस वागीर (INS Vagir) देश की पहली सबमरीन है जो सबसे कम वक्त में तैयार की गई है और ये 80 फीसदी आत्मनिर्भर भारत के तहत बनाई गई है।
कलावरी क्लास की पांचवी सबमरीन
जैसे-जैसे भारतीय सीमाओं की सुरक्षा को लेकर खतरा बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे अब इस सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य, अखंड बनाने की तैयारी भी की जा रही है। अब इसी कड़ी में भारतीय नौसेना की ताकत को और बढ़ाने के लिए आईएनएस वागीर आ गई है। आईएनएस वागीर को आज नौसेना में कमीशन किया गया जिसके बाद समुंदर में भारत की ताकत कई गुना बढ़ गयी है। आईएनएस वागीर, कलावरी क्लास की पांचवी सबमरीन है। इसे प्रोजेक्ट-75 के तहत तैयार किया गया है। इस क्लास की पहली सबमरीन INS कलवरी को भारतीय नौसेना में दिसंबर 2017 में शामिल किया गया था। वहीं दूसरी सबमरीन INS खंडेरी को सितंबर 2019, तीसरी सबमरीन INS करंज को मार्च 2021 में और चौथी INS वेला को नवंबर 2021 में सेवा में शामिल किया गया था।
ये खासियतें बनाती हैं इसे बेहद शक्तिशाली
स्पेशल स्टील से बनी सबमरीन में हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ है जो पानी के अधिक गहराई में जाकर काम करने की क्षमता रखती है। ये सबमरीन किसी भी मिशन के दौरान 45-50 दिन तक पानी में रह सकती है। स्टील्थ टेक्नोलॉजी के कारण यह रडार की पकड़ में नहीं आता और हर मौसम में काम करने में सक्षम है। ये सबमरीन 350 मीटर तक की गहरायी में भी जाकर दुश्मन का पता लगाती है। इसकी टॉप स्पीड करीब 22 नोट्स है।
क्यों कहते हैं समुद्र का साइलेंट किलर
आईएनएस वागीर को समुद्र का साइलेंट किलर भी कहा जाता है। आईएनएस वाग़ीर के ऊपर लगाए गए हथियारों की बात की जाए तो इस पर 6 टॉरपीडो ट्यूब्स बनाई गयी है, जिनसे टोरपीडोस और मिसाइल फायर किए जा सकते हैं। भारतीय नौसेना में आईएनएस वागीर के शामिल होने से चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों की चिंता बढ़ गयी है।
"हम दूसरे छोटे देशों के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहे"
अब आईएनएस वागीर के बाद जल्द ही इस क्लास की छठी और आखिरी सबमरीन वाग्शीर को 2023 के अंत तक नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है। वागीर के कमीशनिंग के दौरान यहां मौजूद चीफ गेस्ट और नौसेना प्रमुख आर. हरिकुमार ने बताया कि भारत पनडुब्बियों और युद्धपोत निर्माण क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। नौसेना प्रमुख आर हरिकुमार ने बताया कि साल 2047 तक भारतीय नौसेना पूरी तरीके से आत्मनिर्भर और सक्षम नेवी बन जायेगी, ये वादा नौसेना ने राजनीतिक नेतृत्व से किया है। नौसेना अध्यक्ष ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ अपने लिए नहीं, हम दूसरे छोटे देशों के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं। हमारी क्षमता विकास किसी देश के खिलाफ नहीं है।
"हम दिन-ब-दिन अधिक स्वदेशी होते जा रहे"
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार ने इस मौके पर कहा कि हम अपनी जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनने जा रहे हैं, लेकिन आत्मनिर्भर के विचार का मतलब दुनिया के लिए भी बनाना भी है। हम पहले से ही श्रीलंका, मालदीव्स और कुछ अन्य छोटे देशों के लिए जहाज बना रहे हैं। हम दिन-ब-दिन अधिक से अधिक स्वदेशी होते जा रहे हैं। हमारी क्षमता विकास किसी देश विशेष के खिलाफ नहीं है बल्कि हमारा उद्देश्य भारत के समुद्री हितों की रक्षा करना है। हम इसी मकसद से काम कर रहे हैं। नौसेना प्रमुख ने आगे कहा कि पाकिस्तान भी अपने नेवल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बना रहा है। चीन के पास भी नेवल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत है लेकिन मुख्य रूप से चीन साउथ चाइना सी में ऑपरेट करता है और हम हिंद महासागर में ऑपरेट करते हैं, यह हमारा एरिया है।
ये भी पढ़ें-
पानी के रास्ते दुश्मन के घर में आग लगाने को तैयार 'INS वागीर', जानें नौसेना की नई पनडुब्बी की ताकत