Monday, December 09, 2024
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मदरसे के खाते में ऑनलाइन ठगी का पैसा, करोड़ों का लेनदेन, क्राइम ब्रांच ने बाप-बेटे को पकड़ा

गांव के लोगों का कहना है कि आरोपियों ने नौकरी लगवाने के नाम पर कई लोगों से पैसे लिए थे और शिकायत दर्ज होने पर कुछ पैसे लौटाए भी थे। वहीं, उनके परिवार के लोगों का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि कैसे करोड़ों रुपये उनके खाते में आए और निकल गए।

Edited By: Shakti Singh
Published : Dec 08, 2024 14:53 IST, Updated : Dec 08, 2024 14:56 IST
Online fraud madarsa account- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV ऑनलाइन ठगी में कन्नौज के मदरसे का खाता इस्तेमाल हुआ है

इंदौर क्राइम ब्रांच ने डिजिटल ठगी के मामले में बड़ा खुलासा किया है। ऑनलाइन ठगी के करोड़ों रुपये उत्तर प्रदेश के कन्नौज में बने एक मदरसे के अकाउंट में जाते थे। यहां से अलग-अलग अकाउंट में पैसा भेजा जाता था। आरोपियों ने 50% कमीशन के लालच में फलाह दारेन मदरसा समिति के करंट अकाउंट का इस्तेमाल ऑनलाइन ठगी के लिए किया। आरोपियों ने बैंक खाता किराए पर देकर करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन किए। पुलिस ने मदरसे के प्रबंधक अली अहमद खान और असद अहमद खान को गिरफ्तार किया है। 

इंदौर में हुई ऑनलाइन ठगी की जांच करते हुए पुलिस उत्तर प्रदेश के मदरसे तक पहुंची और अब बड़ा खुलासा हुआ है। आइए जानते हैं कैसे ठगों ने इंदौर में महिला से पैसे लिए और मदरसे के खाते के जरिए उन्हें अलग-अलग जगह बांट दिया।

कैसे हुई ठगी

इंदौर क्राइम ब्रांच एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि NCRP पोर्टल पर 65 वर्षीय वृद्ध महिला ने डिजिटल अरेस्ट और ऑनलाइन ठगी की शिकायत की थी। 11 सितंबर को सुबह महिला को एक व्हाट्सप्प कॉल आया। उसे बताया गया कि उसकी बात टेलीकॉम रेग्युलेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के दिल्ली हेड ऑफिस के इंक्वायरी ऑफिसर से हो रही है। महिला के नाम से जिओ कंपनी की एक सिम रजिस्टर्ड है, जिसके माध्यम से इल्लिगल एडवरटाईजिंग और हैरसमेंट का अपराध किया गया है। इसलिये महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उसके नाम से सारे फोन नंबर एक घंटे के अंदर बंद कर दिए जाएंगे और कॉल डिस्कनेक्ट हो गया।

ठगों ने थोड़ी देर बाद दूसरे मोबाईल नम्बर से सीबीआई अफसर बनकर कॉल किया और कहा कि महिला के आधार कार्ड से एक पार्सल कम्बोडिया भेजा गया है, जो कि कस्टम विभाग में है और उस पर इंक्वायरी चल रही है। उसके नाम की एक पासबुक भी निकली है, जिसमें ड्रग्स, आतंकवाद, मनी लांड्रिंग के लिये करोड़ों के ट्रांजेक्शन मिले हैं। उसके खिलाफ वारंट निकाल दिया गया है। ठगों ने महिला से कहा "आपके पास जो भी पैसे हैं उसकी जानकारी हमें दीजिये नहीं तो ठीक नहीं होगा। आप पर केस चल रहा है, आप सारा पैसा आरटीजीएस के जरिये हमें ट्रांसफर करिये। आपने सारी जानकारी नहीं दी तो आपको और आपके बच्चों को जान का खतरा है। हमारे बताये खाते में सारा पैसा ट्रांसफर करो। आप लगातार हमारी सर्विलेंस में रहेंगी और कुछ भी काम या किसी से कोई बात करने से पहले हमसे परमिशन लेंगी और इस संबंध मे किसी से भी कोई बातचीत की तो आपके लिये अच्छा नहीं होगा।" 13 सितंबर को महिला ने ठगों के दो खातों में 46 लाख रुपये जमा कर दिए। बाद में उसे ठगी का एहसास हुआ तो उसने क्राइम ब्रांच और NCRP पोर्टल पर शिकायत की।

मदरसा प्रबंधक और बेटा गिरफ्तार

क्राइम ब्रांच ने महिला के खाते से हुए लेनदेन की जांच की तो मदरसा फलाहदारैन सावरी ट्रस्ट का खाता सामने आया। यह मदरसा उत्तर प्रदेश के कन्नौज में है। इसके बाद पुलिस ने मदरसे के प्रबंधक और उसके बेटे को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि, ठगी करने वाले मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस की पहुंच से दूर हैं। आरोपी ठगी के लिए सेंडर एप्लीकेशन और चीन के वीपीएन का इस्तेमाल करते थे। अब तक ठगी से जुड़े 42 बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं, जिनमें करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन का पता चला है। मदरसे में मौजूद आइसीआइसीआइ बैंक के खाते से रुपए 18 अलग-अलग अकाउंट में ट्रांसफर किए गए हैं।

ऑनलाइन ठगी के पैसे जिस मदरसे के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए थे, उसमें एक करोड़ 50 लाख से अधिक का ट्रांजैक्शन मिला है। इसमें नागपुर और अन्य राज्यों से भी पैसे ट्रांसफर हुए हैं। मदरसा प्रबंधक का कहना है कि साहिल नाम के व्यक्ति ने व्हाट्सएप के जरिए उससे संपर्क किया था और चैरिटेबल के पैसे आने की बात कर इन्हें लालच 50% कमीशन का लालच दिया था। मदरसा प्रबंधक ने साहिल के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया था, लेकिन उन पर कई अन्य लोगों से ठगी के आरोप हैं।

गांव के लोगों को ठगा 

अली अहमद खान तिर्वा स्थित एक इंटर कालेज में शिक्षक पद पर नौ वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए थे और इसके बाद मदरसा शुरू कर दिया था। इसमें खुद प्रबंधक बने और अपने बेटे असद अहमद खान को सह प्रबंधक बनाया है। करीब सात वर्ष पूर्व आरोपित पिता-पुत्र ने मिलकर आसपास गांव के 13 लोगों से पांच से 10 लाख रुपये तक ठगी की थी। मदरसे में नौकरी देने का झांसा दिया था। हालांकि जब भी पुलिस में इसकी शिकायत हुई पहले तो उसने कई लोगों के आधे अधूरे रुपये वापस कर दिए।

परिजन बोले- मदरसा प्रबंधक बेकसूर

आरोपियों के परिजन उन्हें बेकसूर ठहरा रहे हैं। आरोपी के भाई का कहना है "करीब 20 सालों से हम लोग मदरसा चला रहे हैं, लेकिन ऐसा कभी नही हुआ। कुछ दिन पहले इंदौर के रहने वाले किसी व्यक्ति ने खुद को साहिल बताते हुये विभिन्न संस्थाओं से मदरसे में आर्थिक सहयोग की बात करने हुए खाता खुलवाने की बात कही थी। जिसके बाद उसने तिर्वा कोतवाली क्षेत्र के सतौरा गांव निवासी मदरसा शिक्षक व संचालक पुत्र असद अहमद से मदरसे के कागज लेकर कुछ दिन पहले आइसीआइसीआई बैंक में खाता खुलवा दिया।" कन्नौज जिले में आरोपियों के 4 मदरसे हैं, जिनमें एक सतौरा में सबसे पुराना 1 से 8 कक्षा तक का फ़लाह दारेन साबिरी है, जिसके संचालक असद के पिता अली अहमद हैं। इसके अलावा एक और मदरसा निस्वा फलाह दारैन साबिरी मदरसा हैं। जिसका संचालन असद करता हैं। इसी मदरसे के खाते में डिजिटल अरेस्ट के दौरान रकम डलवाई गयी। इसके अलावा एक डिग्री कॉलेज हैं और एक मदरसा सदर के मियागंज में है। अली अहमद का सबसे छोटा पुत्र अरशद डिग्री कॉलेज का संचालन करता है। वह पिता व भाई को निर्दोष ठहरा रहा है।

गांव के लोगों का बयान

सतौरा के लोगों का कहना है अली अहमद पहले गांव गांव जाकर दवा देते थे और पेशे से एक झोलाछाप डॉक्टर थे, फिर मदरसा बनाकर पढ़ाने लगे और इन्होंने पहले मदरसे की स्थापना 2003 में की। इसका नाम  फ़लाह दारेन साबिरी है। 2009 में एक मदरसा निस्वा फलाह दारैन साबिरी मदरसा खोला, जिसका संचालक स्वयं आरोपी असद है। एक डिग्री कालेज 2016 में खोला और एक मदरसा कन्नौज में और है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ले गयी, क्यों ले गयी ये नहीं पता। 

(इंदौर से भरत पाटिल और कन्नौज से सुरजीत कुशवाहा की रिपोर्ट)

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