देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर पूरा देश आज उन्हें याद कर रहा है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने उनकी 38 वीं पुण्यतिथि पर दिल्ली स्थित 'शक्ति स्थल' पर जाकर उनकी समाधि सथल पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही भारत जोड़ो यात्रा में भी राहुल गांधी ने इंदिरा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की।
लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में मंत्री थीं इंदिरा गांधी
हालांकि इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके पिता जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। पंडित नेहरु के निधन के बाद देश की बागडोर लाल बहादुर शास्त्री को सौंप दी गई लेकिन कांग्रेस के अंदर इंदिरा गांधी को पहचाना जाने लगा। लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। शास्त्री जी के निधन के बाद 1966 में इंदिरा गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। शुरुआत में कहा गया कि वे एक 'गूंगी गुड़िया' हैं। वे कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं के इशारों पर सरकार चलाएंगी, लेकिन उनके तमाम फैसलों की गूंज दुनिया भर तक पहुंची। उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल ने भारतीय राजनीति की दिशा ही बदल दी थी।
पाकिस्तान के कर दिए दो टुकड़े
इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं, उस दौरान पाकिस्तान से युद्ध हुआ। भारत ने इसमें पाकिस्तान को न केवल धुल चटाई बल्कि उसके दो टुकड़े कर दिए। उस दूसरे टुकड़े को आज दुनिया बांगलादेश के नाम से जानती है। उनके कार्यकाल में साल 1975 में देश में आपातकाल लगा दिया गया। प्रेस की आजादी पर रोक लग गई। कई बड़े फेरबदल हुए। तमाम बड़े नेताओं और उनके विरोधियों को जेल में बंद कर दिया गया।
बैंकों का किया राष्ट्रीयकरण, जिससे आम आदमी तक पहुंची बैंक
इंदिरा गांधी ने 1969 को देश की तमाम बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि उनके इस फैसले से देश के अंतिम नागरिक तक को फायदा पहुंचेगा। हर कोई शख्स बैंक की सुविधाओं का लाभ ले सकेगा। साल 1966 में भारत में केवल 500 बैंक शाखाएं थीं। लेकिन आम आदमी बैंक में पैसा जमा कर सके इसके लिए उनका यह फैसला देश के विकास में अभूतपूर्व रहा। हालांकि उनके इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी।