Highlights
- रूस के हमले के बीच यूक्रेन में कई भारतीय छात्र फंस गए हैं
- भारतीय छात्रों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा जारी है
- यूक्रेन में मौजूद छात्रों ने कुछ ऐसे अपना दर्द बयां किया है
यूक्रेन की राजधानी कीव की तरफ रूसी सेना लगातार बढ़ रही है। बुधवार तड़के रूसी सेना ने कीव में कई जगह धमाके किए। इससे पहले मंगलवार को रूस ने कीव के बाद यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव पर हमला किया। रूस के हमलों में कर्नाटक के रहने वाले एक भारतीय छात्र की भी मौत हो गई। भारत सरकार ने जब इसकी जानकारी दी तो देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जल्द से जल्द छात्रों को सुरक्षित निकालकर लाने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है।
यूक्रेन में भारतीय छात्रों की हालत काफी खराब है। जान बचाने के लिए छात्र खारकीव में बेसमेंट और अंडरग्राउंट शेल्टर्स में छिप गए थे। यहां तब से भारतीय छात्र छिपे हुए हैं जब से युद्ध शुरू हुआ था। ये सभी छात्र रूसी बॉर्डर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर ही रुके हुए हैं, लेकिन बम और गोलियों की आवाज के बीच छात्रों की उम्मीदें लगातार कम होती जा रही हैं।
ज्यादातर छात्र सिर्फ खाने और पानी के लिए ही बाहर जा रहे हैं। वह ठंड और भूख से मर रहे हैं। कर्नाटक के छात्र की मौत के बाद मंगलवार को किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह बंकर से बाहर जा सके। खाने की तलाश में बेसमेंट से बाहर गए नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर की मौत रूसी सेना द्वारा की गई एयरस्ट्राइक में हुई थी।
मुश्किल में फंसे भारतीय छात्र-
एक छात्र ने बताया, 'यहां हर जगह आग, धमाके और सायरन की आवाज ही सुनाई दे रही है। बंकर के बाहर धमाकों की बहुत तेज आवाज आ रही है। रूसी आम नागरिकों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। हमारे पास खाना नहीं है और किसी को बंकर से बाहर जाने की भी इजाजत नहीं है। दूतावास ने हमें बॉर्डर पर पहुंचने के लिए कहा है, लेकिन हम तो बंकर से भी बाहर नहीं सकते।'
अब छात्रों के पास सिर्फ एक ही रास्ता बचा है कि वह गोलीबारी में मारे जाएं या बम धमाके में, या भूख से मरें। कई जगहों पर बंकर में खाने के लिए खाना और पीने के लिए पानी तक नहीं बचा है। पहले ये सब यहीं तक सीमित था, लेकिन भारतीय छात्र की मौत के बाद ये जिंदगी और मौत का सवाल बन गया है।